टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर आज के समय में बहुत सारी कंपनियां बाइक कार स्मार्टफोन गेमिंग और भी कई अन्य चीजों को एडवांस बनाती जा रही है। स्पोर्ट्स लवर को ध्यान में रखते हुए कई भारतीय टेक फर्म इस दिशा में काम कर रही है जिससे कि दर्शकों के साथ ही कंपनियों को भरपूर लाभ मिले। इसके लिए यह कंपनियां बहुत ही तेजी से AI और VR टेक्नोलॉजी के ऊपर काम कर रही है। सिर्फ इतना ही नहीं बहुत सारी विदेशी कंपनियां भी भारतीय टेक फर्म के साथ मिलकर काम करना चाहती है।
इनसे न सिर्फ दर्शकों को बल्कि कंपनियों को भी लाभ मिलने की बातें कही जा रही है। AI और VR की मदद से दर्शक गेमिंग का मजा बिल्कुल वास्तविक रूप से ले सकेंगे।
क्या है AI और VR टेक्नोलॉजी?
एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और वीआर यानी वर्चुअल रियलिटी की मदद से सभी चीजें बिल्कुल वास्तविक दुनिया जैसी दिखना शुरू हो जाती है। इनमें रियल टाइम वॉइस वीडियो कॉल और लाइफलाइक गेमिंग के साथ ही कई चीजें शामिल होती है। सिर्फ इतना ही नहीं खिलाड़ियों की फिटनेस से लेकर किस स्पीड से यह लोग खेल रहे हैं इसके बारे में भी जानकारी मिल जाती है। यानी गेमिंग और वीडियो कॉलिंग दोनों को ही बिल्कुल वास्तविकता के निकट लाने में यह मदद करता है। इंफोसिस, टीसीएस, टेक महिंद्रा, एचसीएल प्रौद्योगिकी और जेनपैक्ट ये टेक कंपनियां AI और VR टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है।
AI और VR टेक्नोलॉजी से इस तरह दर्शकों को मिलेगा फायदा
इन टेक्नोलॉजी की मदद से दर्शक बिल्कुल वास्तविकता के निकट पहुंच पाएंगे। यानी कहीं भी दूर बैठकर इन टेक्नोलॉजी के जरिए फुटबॉल क्रिकेट हॉकी या फिर किसी भी खेल का मजा बिल्कुल वास्तविकता के रूप में ले सकते हैं। बहुत सारी कंपनियां इस दिशा में काम भी कर रही है। फीफा वर्ल्ड कप में जिन फुटबॉल का इस्तेमाल हो रहा है उनमें जीपीएस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है। जिससे रियल टाइम डाटा एनालिटिक्स, इमर्सिव व्यूइंग, इन सभी चीजों की जानकारी बहुत जल्दी मिल जाती है।
कंपनियां AI और VR टेक्नोलॉजी से ऐसे करेगी कमाई
बहुत सारे दर्शक ऐसे हैं जो AI और VR टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर खेल को और करीब से देखना चाहते हैं। उन लोगों के लिए यह कंपनियां काम कर रही है। इसके साथ ही इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने के लिए लोग हजारों रुपये खर्च करने के लिए भी तैयार हो जाते हैं। वहीं दूसरी तरफ वीडियो गेम में भी इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होने से लोग इसकी तरफ आकर्षित हो रहे हैं। इन साधनों का इस्तेमाल करने के लिए कंपनियां लोगों से हजारों रुपये ले भी रही है।