केंद्र की मोदी सरकार अपने 'मेक इन इंडिया' मिशन के साथ चीन को सीधी टक्कर देने की तैयारी में है। सरकार ने मोबाइल फोन के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत एप्पल की आपूर्तिकर्ता फॉक्सकॉन इंडिया के लिए 357.17 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है। ताइवान की कंपनी फॉक्सकॉन पहली ऐसी विदेशी कंपनी है जिसे सरकार ने पीएलआई योजना के तहत इतनी बड़ी राशि मंजूर की है।
बता दें कि चीन में कोरोना के बढ़ते मामलों और वहां की सरकार की जीरो कोविड पॉलिसी के बीच दुनिया की सबसे बड़ी स्मार्टफोन कंपनी एप्पल का प्लांट संकट से गुजर रहा है। प्लांट में काम बंदी और मजदूरों के आंदोलन की खबरें भी आ रही हैं। इससे सीधा नुकसान फॉक्सकॉन और एप्पल को हो रहा है। ऐसे में ये कंपनियां चीन के बाहर अपना बेस बनाने की कोशिश में हैं। ऐसे में भारत सरकार का यह कदम गर्म लोहे पर वार करने जितना प्रभावी दिख रहा है।
पहली बार विदेशी कंपनी को पीएलआई का लाभ
सरकार ने मोबाइल फोन के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत एप्पल की आपूर्तिकर्ता फॉक्सकॉन इंडिया के लिए 357.17 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। इसके साथ ही डिक्सन टेक्नोलॉजीज की अनुषंगी पैजेट इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए 58.29 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है। यह पहला मौका है जब सरकार ने देश में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण से जुड़ी किसी वैश्विक कंपनी के लिए प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी है। नीति आयोग ने मंगलवार को बयान में यह जानकारी दी।
पीएलआई के तहत आया 4,784 करोड़ रुपये का निवेश
फॉक्सकॉन इंडिया ताइवान की बहुराष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स अनुबंध विनिर्माता है। इसका मुख्यालय न्यू ताइपे सिटी में है। सितंबर, 2022 तक बड़े पैमाने के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण (एलएसईएम) के लिए चलाई गई पीएलआई योजना के तहत 4,784 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित किया गया है। इससे 80,769 करोड़ रुपये के निर्यात सहित 2,03,952 करोड़ रुपये का उत्पादन हुआ है।