गूगल की सहायक जिगसॉ भारत में नया एंटी-मिस इंफॉर्मेशन कैंपेन लॉन्च करने वाली है, जो अफवाहों और गलत सूचनाओं पर लगाम कसने का काम करेगी। कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि कई मामलों में ऐसी भ्रामक जानाकारियों को हिंसा और मौतों के लिए जिम्मेदार माना गया है। गूगल 'प्रीबंकिंग' वीडियो के साथ इसकी पहल करेगी। प्रीबंकिंग वीडियो झूठी अफवाहों और जानकारियों के फैलने से पहले उनका मुकाबला करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। इसका उपयोग यूट्यूब समेत अन्य सोशल मीडिया साइट्स पर किया जाएगा।
गलत सूचनाओं के प्रसार को रोकने के लिए गूगल के प्रयास माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर से बिल्कुल अलग है, जो अपने नए मालिक एलोन मस्क के ट्रस्ट और सेफ्टी टीम को छोटा करने के चलते काफी विवादों में भी रहा है। गूगल ने यूरोप में हाल ही में इस पर एक एक्पेरीमेंट भी कंडक्ट किया था, जहां इसने यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के मद्देनजर एंटी रिफ्यूजी नैरेटिव ऑनलाइन आख्यानों का मुकाबला करने की मांग की थी।
हालांकि भारत में अलग-अलग स्थानीय भाषाओं के चलते इस एक्सपेरीमेंट को ज्यादा बड़ी चुनौतियों से गुजरना पड़ सकता है, जैसे कि बंगाली, हिंदी और मराठी आदि। अलग-अलग भाषाओं और व्यापक क्षेत्रफल में ऐसी चुनौतियों से निपट पाना गूगल के लिए आसान नहीं रहने वाला है।
जिगसॉ के रिसर्च एंड डेवलपमेंट के प्रमुख बेथ गोल्डबर्ग का कहना है कि इसने एक गैर-पश्चिमी, वैश्विक दक्षिण बाजार में प्रीबंकिंग पर शोध करने का अवसर प्रस्तुत किया। दूसरे देशों की तरह भारत में भी ऐसी गलत जानकारियां और अफवाहें सोशल मीडिया के माध्यम से बड़ी तेजी से फैलती हैं, जिससे एक धार्मिक तनाव और राजनीतिक दबाव पैदा होता है।
भारत सरकार के अधिकारियों ने ऐसी मिस इनफॉर्मेशन और फेक न्यूज पर लगाम कसने के लिए गूगल, मेटा और ट्विटर जैसी टेक्नोलॉजी कंपनी का बुलाया है, ताकि ऐसे मुद्दों को सामने लाकर स्ट्रिक्ट एक्शन लिया जा सके। भारत सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय ने भ्रामक जानकारियों को फैलाने वाले यूट्यूब चैनल्स और कुछ ट्विटर व फेसबुक अकाउंट को ब्लॉक करने का आव्हान किया है।