भारत में चीनी ऐप के बाद क्या सरकार सस्ते चीनी मोबाइल पर बैन लगाने जा रही है? भारतीय कंपनियों माइक्रोमैक्स और लावा को लाभ पहुंचाने के लिए शाओमी और रियलमी जैसी कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखाने से जुड़ी इस प्रकार की खबरें अगस्त की शुरूआत से ही बाजार में तैर रही हैं। मीडिया में आई खबरों पर अभी तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया था। अब सरकार ने साफ किया है कि ऐसा कोई भी प्रस्ताव सरकार के पास नहीं आया है।
सरकार ने निर्यात बढ़ाने के दिए निर्देश
सरकार ने चीन की मोबाइल कंपनियों को भारत से अपना निर्यात बढ़ाने के लिए कहा है। साथ ही स्पष्ट किया है कि इन कंपनियों के 12,000 रुपये से कम के स्मार्टफोन की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का उसका कोई प्रस्ताव नहीं है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने सोमवार को कहा कि देश के इलेक्ट्रॉनिक ईकोसिस्टम में भारतीय कंपनियों की भी भूमिका है लेकिन इसका मतलब विदेशी ब्रांडों को बाहर करना नहीं है।
कंपनियों के कारोबार का पारदर्शी होना जरूरी
‘‘केवल एक मुद्दा है, जो हमने उठाया है। इसे चीन के कुछ ब्रांड के साथ बहुत पारदर्शी तरीके से रखा गया है। हमने कहा है कि हमारी अपेक्षा यह है कि वे अधिक निर्यात करें।’’ चंद्रशेखर ने कहा, ‘‘आपूर्ति श्रृंखला, विशेष रूप से कलपुर्जों की आपूर्ति श्रृंखला को अधिक पारदर्शी और अधिक खुला होना चाहिए। बाजार के एक विशेष खंड (12,000 रुपये से कम) से चीन की कंपनियों को बाहर निकालने के बारे में हमारे पास कोई प्रस्ताव नहीं है। मुझे नहीं पता है कि यह मामला या विषय कहां से आया।’’
300 अरब के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन का लक्ष्य
उन्होंने चीन की कंपनियों को 12,000 रुपये से कम के मोबाइल फोन बेचने से रोकने के लिए सरकार की एक कथित योजना पर सवाल का जवाब देते हुए यह बात कही। उद्योग निकाय आईसीईए के सहयोग से इक्रियर द्वारा तैयार एक रिपोर्ट जारी करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार वर्ष 2025-26 तक 300 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन (Electronics Production) के साथ 120 अरब डॉलर के निर्यात (EXPORT) तक पहुंचना चाहती है।