नई दिल्ली। रिलायंस जियो ने दूरसंचार कंपनियों को करदाताओं की लागत पर राहत पैकेज दिए जाने का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि जिन कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट ने पुराना सरकारी बकाया चुकाने का आदेश दिया है, उसके लिए उनके पास पर्याप्त वित्तीय क्षमता है। दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद को गुरुवार को लिखे एक पत्र में जियो ने कहा है कि अव्वल तो बाजार में पुरानी दो दूरसंचार सेवाप्रदाता कंपनियों के डूबने की कोई संभावना नहीं है, पर ऐसा हुआ तो भी इससे दूरसंचार क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि प्रतिस्पर्धा के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां मौजूद हैं और नए सेवाप्रदाताओं के बाजार में आने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
जियो ने कहा कि वह दूरसंचार सेवाप्रदाता कंपनियों के संगठन सीओएआई (सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन) के इस तर्क से सहमत नहीं है कि सरकार की ओर से तत्काल राहत के अभाव में दूरसंचार क्षेत्र की कंपनियां डूब जाएंगी। पत्र के लिए सीओएआई की खिंचाई करते हुए जियो ने कहा कि यह पत्र संगठन के अन्य दो सदस्यों के प्रभाव में लिखा गया है, ताकि उनके निहित स्वार्थों की पूर्ति हो सके।
जियो ने आरोप लगाया कि सीओएआई उन दोनों (एयरटेल व वोडाफोन-आइडिया) कंपनियों के भोंपू की तरह काम कर रहा है और जियो के प्रति उसकी सोच नकारात्मक है। जियो ने दूरसंचार सेवाप्रदाता कंपनियों के संगठन सीओएआई पर सरकार को ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया है। संगठन ने सरकार को पत्र लिखकर दूरसंचार कंपनियों के समक्ष वित्तीय तंगी का गंभीर चित्रण किया है। लेकिन जियो ने संकट की बात को खारिज करते हुए कहा कि सीओएआई सभी कानूनी रास्ते बंद होने के बाद अब न्यायालय के निर्णय से प्रभावित कंपनियों को सरकार से राहत दिलाने के लिए ब्लैकमेल करने वाली भाषा का प्रयोग कर रहा है।
प्रसाद को लिखे पत्र में रिलायंस जियो ने कहा कि फैसले से प्रभावित कंपनियां अपनी मौजूदा परिसंपत्तियों/निवेश को बाजार में बेचकर या किराये पर देकर और नए इक्विटी शेयर जारी कर सरकार के बकाये का भुगतान करने की पर्याप्त वित्तीय क्षमता रखती हैं। कंपनी ने कहा कि वह सीओएआई की इस दलील से असहमति जताती है कि तत्काल सरकार की ओर से किसी तरह की राहत देने के अभाव में इस समय निजी क्षेत्र की तीन में से दो कंपनियों को गंभीर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ेगा। इससे दूरसंचार क्षेत्र डूब जाएगा और इस क्षेत्र में अभूतपूर्व संकट खड़ा हो जाएगा।
जियो ने कहा कि सीओएआई कंपनियों में लोगों की नौकरी जाने, सेवा खराब होने और निवेश घटने का डर दिखाकर सरकार को ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रहा है। जियो ने कहा कि खासकर सुप्रीम कोर्ट ने कंपनियों को बकाया चुकाने के लिए जब तीन माह का समय देने की बात सुझाई है तो सीओएआई की इस तरह की बातें कोर्ट की अवमानना के घेरे में आती है।
जियो ने कहा कि उसके प्रवर्तकों ने दूरसंचार क्षेत्र में 1.75 लाख करोड़ रुपए का इक्विटी निवेश किया है, जबकि एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया की ओर से किया गया इक्विटी निवेश अपर्याप्त है। जियो ने कहा कि पुराने सेवाप्रदाताओं की विफलता के लिए सरकार को दोष नहीं दिया जा सकता है। उसने कहा कि सेवाप्रदाता खुद अपनी मौजूदा स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं और उनको उनकी वाणिज्यिक विफलता तथा वित्तीय कुप्रबंधन से उबारने की जिम्मेदारी सरकार की नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते सरकार की इस दलील को स्वीकार कर लिया कि दूरसंचार समूह में अन्य स्रोत से आय को समायोजित सकल आय (एजीआर) में शामिल किया जाना चाहिए। एजीआर का एक हिस्सा लाइसेंस और स्पेक्ट्रम शुल्क के रूप में सरकारी खजाने में जाता है। भारती एयरटेल पर करीब 42,000 करोड़़ रुपए की देनदारी है। इसमें लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम यूसेज शुल्क भी शामिल है। वहीं वोडाफोन-आइडिया की देनदारी लगभग 40,000 करोड़ बनती है। जियो को करीब 14 करोड़ रुपए का बकाया देना है।