नई दिल्ली। रिलायंस जियो इंफोकॉम ने इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी लाइसेंस हासिल करने के लिए दूरसंचार विभाग (डीओटी) के पास आवेदन किया है। यह लाइसेंस टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स को भारतीय और विदेशी एयरलाइंस को कनेक्टिविटी और डाटा सर्विस उपलब्ध कराने की अनुमति प्रदान करता है। जियो के अलावा, दूरसंचार विभाग को ओर्टस कम्युनिकेशंस, स्टेशन सैटकॉम और क्लाउड कास्ट डिजिटल सहित अन्य कंपनियों से भी इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी लाइसेंस के लिए आवेदन मिले हैं।
सूत्रों ने बताया कि दूरसंचार विभाग ने ओर्टस कम्युनिकेशन सहित कुछ मामलों में आवेदकों से कुछ स्पष्टीकरण मांगे हैं। उल्लेखनीय है कि सरकार ने पिछले साल दिसंबर में भारतीय वायु क्षेत्र में उड़ान सेवाओं के साथ-साथ समुद्र में मोबाइल फोन सेवाओं के लिए दिशा-निर्देश अधिसूचित किए थे। इसके बाद भारती एयरटेल, हग्स कम्युनिकेशन इंडिया और टाटानेट सर्विसेज ने इससे जुड़े लाइसेंस के लिए आवेदन किया था।
इस साल फरवरी में हग्स कम्युनिकेशन इंडिया देश की पहली ऐसी कंपनी बनी जिसे इन-फ्लाइट और मेरीटाइम कनेक्टिविटी लाइसेंस हासिल हुआ। इसके बाद मार्च में टाटानेट सर्विसेज को इन-फ्लाइट और मेरीटाइम कनेक्टिविटी लाइसेंस प्रदान किया गया। हाल ही में दूरसंचार विभाग ने भारती एयरटेल की अनुषंगी इंडो टेलीपोर्ट्स लिमिटेड को 10 साल की अवधि के लिए इन-फ्लाइट और मेरीटाइम कनेक्टिविटी लाइसेंस देने की घोषणा की है।
यूरोकंसल्ट के अनुसार, 2027 तक 23,000 से अधिक कमर्शियल एयरक्राफ्ट में यात्रियों को कनेक्टिविटी उपलब्ध कराई जाएगी, जिनकी संख्या 2017 में 7400 थी। ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी के लिए बढ़ती मांग के बीच, इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी से अगले एक दशक में 32 अरब डॉलर की आय पैदा होने का अनुमान है।