नई दिल्ली। रिलायंस जियो ने एक नया आरोप लगाते हुए कहा है कि भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और बीएसएनएल जैसी पुरानी दूरसंचार कंपनियां इंटरकनेक्ट उपयोग शुल्क (आईयूसी) के जरिये अनुचित आय अर्जित करने के लिए फिक्स्ड लैंडलाइन नंबर्स का मोबाइल नंबर की तरह उपयोग कर रही हैं। ट्राई को लिखे अपने एक और पत्र में जियो ने आरोप लगाया है कि यह प्रतिस्पर्धी टेलीकॉम ऑपरेटर्स द्वारा किया गया धोखाधड़ी का प्रयास है और इसके लिए उन्हें कड़ी सजा दी जानी चाहिए।
14 अक्टूबर को ट्राई को लिखे अपने पत्र में जियो ने कहा है कि प्रतिस्पर्धी ऑपरेटर्स ने एक ऐसी प्रक्रिया को अपनाया है, जिसके तहत विभिन्न उद्यमों को उनके कस्टमर केयर या हेल्पलाइन नंबर्स के लिए मोबाइल नंबर्स प्रदान किए जाते हैं। इन मामलों में, कॉल सेंटर के लिए ऐसे सभी कॉल को रूट करने के लिए मोबाइल नंबर का इस्तेमाल एक वर्चुअल नंबर के रूप में किया जाता है।
जियो ने आरोप लगाया है कि इसके जरिये मोबाइल से वायरलाइन वाली कॉल की प्रकृति को मोबाइल से मोबाइल में बदला जाता है, जो कि पुराने ऑपरेटर्स द्वारा 6 पैसा प्रति मिनट इंटरकनेक्ट उपयोग शुल्क की अवैध वसूली के लिए की गई एक धोखाधड़ी है।
जियो के इस नए पत्र से आईयूसी शुल्क को लेकर चल रहे विवाद में और नया मुद्दा जुड़ गया है। ट्राई ने पिछले महीने कहा था कि वह 1 जनवरी 2020 से आईयूसी शुल्क को खत्म करने के अपने फैसले पर पुर्नविचार करेगा। ट्राई ने इसके लिए एक परिचर्चा पत्र भी जारी किया है। इसके बाद ही रिलायंस जियो ने अपने उपभोक्ताओं से दूसरे नेटवर्क पर किए जाने वाले कॉल के लिए 6 पैसा प्रति मिनट का शुल्क लेने की घोषणा की।
आईयूसी को खत्म करने से जियो जैसे ऑपरेटर्स को फायदा होगा, जिनका आउटगोइंग ट्रैफिक इनकमिंग कॉल्स की तुलना में अधिक है। जून अंत तक जियो के कुल ट्रैफिक में 64 प्रतिशत आउटगोइंग कॉल का था।
यदि ट्राई आईयूसी को जारी रखने का फैसला लेता है तो इससे भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया को फायदा होगा क्योंकि इनके कुल ट्रैफिक में आउटगोइंग की तुलना में इनकमिंग कॉल्स की अधिकता है।
जियो ने अपने पत्र में यह भी आरोप लगाया है कि टेलीकॉम ऑपरेटर न केवल अवैध रूप से आईयूसी राजस्व को अर्जित कर रहे हैं, बल्कि सार्वभौमिक पहुंच और टोल-फ्री नंबर पर किए गए कॉल के लिए मूल ऑपरेटर (जियो) को 52 पैसे प्रति मिनट का राजस्व देने से भी बच रहे हैं। जियो ने कहा है कि हमें आशंका है कि प्रतिस्पर्धी ऑपरेटर्स द्वारा बाजार में ऐसे हजारों नंबर को संचालित किया जा रहा है।
जियो ने अरोप लगाया कि इस तरह की गैरकानूनी, कपटपूर्ण और धोखाधड़ी के परिणामस्वरूप जियो नेटवर्क से उत्पन्न होने वाले लाखों मिनट के कॉल को वायरलाइन टर्मिनेशन के बजाये मोबाइल टर्मिनेटिंग मिनट माना जा रहा है इससे जियो को न केवल करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है बल्कि जियो और अन्य ऑपरेटर्स के बीच ट्रैफिक में भी असंतुलन हो रहा है। यही एक कारण है कि जियो ट्राई से अपने निर्णय पर विचार करने की अपील कर रही है।