नई दिल्ली। अरबपति कारोबारी मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली टेलीकॉम कंपनी रिलायंस जियो ने अपने ग्राहकों से 6 पैसा प्रति मिनट इंटरकनेक्शन उपयोग शुल्क (आईयूसी) वसूलने के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि अन्य दूरसंचार कंपनियां जैसे भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया आदि हिडेन चार्जेस (छिपा हुआ शुल्क) के रूप में ग्राहकों से आईयूसी की वसूली कर रही हैं।
अन्य टेलीकॉम ऑपरेटर्स पर हिडेन चार्जेस वसूलने का आरोप लगाते हुए रिलायंस जियो ने कहा कि उसने इस मामले में पारदर्शिता बरती है। उल्लेखनीय है कि भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नियमानुसार वर्तमान में दूरसंचार कंपनियों को अपने नेटवर्क से बाहर जाने वाली कॉल के दूसरे नेटवर्क पर जुड़ने के लिए एक शुल्क देना होता है। इसे इंटरकनेक्शन यूसेज चार्ज (आईयूसी) कहा जाता है। वर्तमान में इसकी दर 6 पैसे प्रति मिनट है।
रिलायंस जियो ने पुरानी दूरसंचार कंपनियों में पारदर्शिता के अभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि उन कंपनियों ने गलत टेक्नोलॉजी में निवेश किया है, जिससे उनकी लागत पर असर पड़ रहा है। आईयूसी के नाम पर वह अपने नेटवर्क की अक्षमता को छिपा नहीं सकते हैं।
रिलायंस जियो के अध्यक्ष मैथ्यू ओमन ने कहा कि दूरसंचार कंपनियों को भविष्य में 5जी के लिए इंटरनेट प्रोटोकॉल पर आधारित पूरा नया ढांचा बनाने की जरूरत होगी और उन्हें 2जी जैसी पुरानी टेक्नोलॉजी में निवेश नहीं करना होगा। आईयूसी शुल्क वसूलने के निर्णय पर ओमन ने कहा कि हम चाहें तो उद्योग से जुड़ी अन्य कंपनियों की तरह असीमित प्लान दे सकते थे। किसी को किसी को पता भी नहीं चलता लेकिन हमने ऐसा नहीं किया, क्योंकि हम वसूले जाने वाले हर पैसे को लेकर पारदर्शिता चाहते थे।
ओमन ने कहा कि 6 पैसे के शुल्क को आईयूसी के रूप में पहचान देने के स्थान पर हम भी अन्य कंपनियों की तरह ग्राहकों को 20 से 100 रुपए के बीच की सेवा कम स्पेक्ट्रम पर उपलब्ध कराकर इसे वसूल सकते थे। अन्य किसी भी नेटवर्क पर वॉयस कॉल के लिए न्यूनतम एक से डेढ़ रुपए का शुल्क लिया जाता है। उन्होंने कहा कि अन्य कंपनियां उनके नेटवर्क पर बने रहने के लिए ग्राहकों से 23 रुपए से लेकर 33 रुपए तक का मासिक शुल्क वसूल रही हैं, जबकि जियो अपने ग्राहकों से अनलिमिटेड प्लान के नाम पर ऐसी वसूली नहीं करती है।