सरकार ने इस संबंध में एक अधिसूचना भी जारी कर दी है। इसमें कहा गया है कि, ‘इंडियन स्टैंडर्ड एक्ट के ब्यूरो के क्लॉज़ 10 (1) को लागू करने के लिए केंद्र सरकार ने ‘इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी गुड्स (रजिस्ट्रेशन के लिए अनिवार्य) ऑर्डर, 2012 के आईएस 16333 (पार्ट-3) के तहत मोबाइल फोन के लिए भारतीय भाषाओं का सपोर्ट होना जरूरी है।’
तस्वीरों में देखिए लाइफ के स्मार्टफोन
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नए नियम के मुताबिक, देश में अब सभी मोबाइल कंपनियों को अपने डिवाइस में टेक्स्ट पढ़ने के लिए भारतीय भाषाओं को सपोर्ट देना होगा। नए मानकों के हिसाब से अब मोबाइल फोन कंपनियों को अपने डिवाइस में मैसेज टाइप करने के लिए अंग्रेजी, हिंदी और यूजर की पसंद की एक क्षेत्रीय भाषा के लिए सपोर्ट देना होगा। नोटिफिकेशन के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी गुड्स (रजिस्ट्रेशन के लिए अनिवार्य) ऑर्डर, 2012 के तहत नए नियम 1 जुलाई 2017 से प्रभावी होंगे।
भारतीय सेल्युलर एसोसिएशन नेशनल के अध्यक्ष पंकज महिंद्रो ने कहा कि,
यह एक बहुप्रतीक्षित और बड़ा फैसला है। इससे अंग्रेजी ना बोलने वाले करीब 100 करोड़ लोगों को जुड़ने का मौका मिलेगा। यह आदेश डिजिटल इंडिया विजन के तहत है। और इंडस्ट्री दोनों की राय इस मुद्दे पर एक ही थी। अगर एक बार अंग्रेजी ना बोलने वाले लोगों की पहुंच मोबाइल तक हो जाती है तो भारतीय भाषाओं के लिए सपोर्ट आने से ई-गवर्नेंस ट्रांजेक्शन, ई-कॉमर्स बिजनेस आदि के बढ़ने की संभावना है।