नई दिल्ली। सरकार बहुप्रतीक्षित मालवेयर और बोटनेट क्लिीनिंग सेंटर का परिचालन 20 दिसंबर से शुरू करेगी। इस कार्यक्रम का मकसद कंप्यूटर और मोबाइल को वायरस तथा नुकसान पहुंचाने वाले सॉफ्टवेयर से बिना किसी शुल्क के स्वत: बचाना है।
इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव अजय कुमार ने ट्विट कर कहा
डिजिटल इंडिया में साइबर सुरक्षा की दिशा में बड़ी पहल, 20 दिसंबर से होगी बोटनेट क्लीनिंग सेंटर आफ इंडिया सीईआरटी (कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम) की शुरूआत।
क्या है बोटनेट
- बोटनेट गड़बडी करने वाले साफ्टवेयर का एक नेटवर्क है जो सूचना चुरा सकता है।
- उपकरण के परिचालन को नियंत्रित कर सकता है और साइबर हमले कर सकता है।
- इससे वेबसाइट का उपयोग नहीं हो पाता है।
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सरकार ने 100 करोड़ रुपए किए अलग
- सरकार ने इसी गड़बड़ी को दूर करने के लिये इस नए सुविधा केंद्र की स्थापना के लिये 100 करोड़ रुपए का निर्धारण किया है।
- परियोजना की शुरूआत 2014 में होनी थी।
- इस बारे में संपर्क किये जाने पर कुमार ने कहा, 20 दिसंबर से भारतीय सीईआरटी इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को साइबर या वायरस के हमले के बारे में सूचना देना शुरू करेगा।
- उन्हें अपनी प्रणाली को जोड़ना होगा ताकि बोटनेट और मालवेयर क्लीनिंग सेंटर उनकी जरूरतों को पूरा कर सके।
- उसके बाद ISP अपने ग्राहकों को उनके पीसी (पर्सनल कंप्यूटर) और मोबाइल में गड़बड़ी के बारे में सतर्क करेंगे और उस मालवेयर को दूर करने के लिये बोटनेट की वेबसाइट से सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने की सिफारिश करेंगे।
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मुफ्त में उपलब्ध होगा सॉफ्टवेयर
- उन्होंने कहा कि बोटनेट सेंटर से साफ्टवेयर मुफ्त में उपलब्ध होगा।
- नई प्रणाली से पर्सनल कंप्यूटर और मोबाइल फोन में अलग से एंटी-वायरस स्थापित करने की जरूरत नहीं होगी।
- कुमार ने कहा, हम उम्मीद कर रहे हैं कि 26 दिसंबर से पूरी प्रणाली परिचालन में आ जाएगी।