नई दिल्ली। सरकार ने गुरुवार को एडजेस्टेड ग्रास रेवेन्यू (एजीआर) के आधार पर भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया को सांविधिक भुगतान या जुर्माना या किसी तरह की छूट देने से इनकार कर दिया। इसकी जानकारी राज्यसभा में केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ने एक सवाल के लिखित उत्तर में दिया, जिसमें पूछा गया था कि क्या इस तरह का कोई प्रस्ताव है।
दूरसंचार कंपननियों ने एजीआर बकाए पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिकाएं दायर की हैं, जिसमें जुर्माना व ब्याज शुल्क के माफी की मांग की गई है। वोडाफोन आइडिया को एजीआर बकाए के तौर पर 54,000 करोड़ रुपए, जबकि भारतीय एयरटेल को 43,000 करोड़ रुपए का भुगतान करना है। कुल मिलाकर दूरसंचार कंपनियों को पर सरकार को 1.47 लाख करोड़ रुपए का एजीआर बकाए का भुगतान करना है।
लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) की गणना एजीआर के आधार पर की जाती है। वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल जुर्माना व ब्याज को लेकर निराश है, जिस लेकर उनके अस्तित्व पर सवालिया निशान लग रहे हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इस सप्ताह एजीआर समीक्षा को लेकर वोडाफोन-आइडिया लिमिटेड और भारती एयरटेल सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं।
दूरसंचार राजस्व 2018-19 में 7 फीसदी घटा: सरकार
राज्यसभा में गुरुवार को कहा गया कि दूरसंचार क्षेत्र से सरकार को मिलने वाले राजस्व में वित्त वर्ष 2019 में सात फीसदी की गिरावट आई है। दूरसंचार मंत्रालय ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में कहा, 'भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार, दूरसंचार सेवा क्षेत्र के लिए एडजेस्टेड ग्रास रेवेन्यू (समायोजित सकल राजस्व) 2018-19 में 1,44,681 करोड़ रुपये रहा। यह 2017-18 में 1,55,680 करोड़ रुपये रहा, जिससे राजस्व में 7.06 फीसदी की गिरावट दिख रही है।'
जवाब में कहा गया कि प्रति उपभोक्ता औसत राजस्व (एआरपीयू) 2017-18 के 124.85 रुपए से घटकर मार्च 2019 में 71.39 रुपए हो गया। एक अन्य जवाब में मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि दूरसंचार विभाग ने दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के साथ हाल ही में दूरसंचार क्षेत्र द्वारा सामना किए जा रहे मुद्दों को लेकर कई बैठकें की। कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की एक केमेटी (सीओएस) ने भी दूरसंचार क्षेत्र से जुड़े मुद्दों पर भी विचार किया। सीओएस की सिफारिश के आधार पर सरकार ने 2020-21 व 2021-22 के लिए स्पेक्ट्रम ऑक्शन इंस्टालेमेंट के भुगतान के लिए मोहलत देने की अनुमति दी। इसकी वजह से दूरसंचार सर्विस सेक्टर वित्तीय तनाव का सामना कर रहा है।