नई दिल्ली। संकट में घिरी सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के हाथ से अरुणाचल प्रदेश और असम के दो जिलों में मोबाइल सेवा योजना पर काम शुरू करने का अधिकार निकल गया है। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत की अध्यक्षता वाली अंतर-मंत्रालयी समिति की सिफारिश पर यह कदम उठाया गया है।
इस परियोजना का वित्तपोषण सार्वभौमिक सेवा दायित्व निधि (यूएसओएफ) से होना था। केंद्र सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए इस कोष की स्थापना की है। इस परियोजना की लागत 1,460 करोड़ रुपए थी। अब इसके लिए नए सिरे से बोलियां आमंत्रित की जाएंगी।
समिति ने इस परियोजना के तहत दोनों राज्यों में 4 जी सेवाएं शुरू करने की सिफारिश की है। बीएसएनएल सरकार से 4 जी सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम की मांग कर रही है। हालांकि, सरकार ने अब तक इसकी अनुमति नहीं दी है। डिजिटल संचार आयोग ने बुधवार को समिति की सिफारिश को मंजूरी दे दी।
इसके बाद दूरसंचार सचिव अरुणा सुंदरराजन ने बताया कि इस समिति में नीति आयोग के सीईओ के अलावा सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय और आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव शामिल हैं। समिति ने 4 जी तकनीक की सिफारिश की है क्योंकि डिजिटल कनेक्टिविटी भविष्य में बहुत अहम होने जा रही है। यूएएसओएफ सेवा प्रदाता के चयन के लिए प्रतिस्पर्धी निविदा पेश करेगा।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पूर्वोत्तर राज्यों में मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी को चार हिस्सों में मंजूरी दी थी। इसमें एक हिस्सा सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल को दिया गया था। जिसमें अरुणाचल प्रदेश और असम के दो जिलों में 1,460 करोड़ रुपए के खर्च से 2,817 मोबाइल टॉवर लगाने का काम होना था।