नई दिल्ली। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फेसबुक की बादशाहत को चुनौती देने के लिए गूगल द्वारा शुरू किए गए ‘गूगल प्लस’ आखिरकार बंद हो गया। गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट ने सोमवार को अपने इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को बंद करने की घोषणा की। हालांकि इसे बंद करने के पीछे की कहानी चौंकाने वाली है। कंपनी को यह प्लेटफॉर्म 5 लाख खातों में सेंध लगने के बाद बंद करना पड़ा है। हालांकि कंपनी ने स्पष्ट किया है कि गूगल प्लस को बंद करने से पहले इस बग को ठीक कर लिया गया है। इससे पहले फेसबुक की ओर से भी खबर आई थी कि उसके 5 करोड़ उपभोक्ताओं का डेटा खतरे में है। हालांकि गूगल प्लस के बंद होने के पीछे एक अन्य कारण इसका इसकी अलोकप्रियता को भी माना जा रहा है।
गूगल ने सोशल मीडिया दिग्गज फेसबुक के सामने बड़ी चुनौती खड़ी करने के लिए 2011 में गूगल प्लस को दुनिया भर में लॉन्च किया था। लेकिन पिछले 7 वर्षों के बाद भी यह सोशल मीडिया के क्षेत्र में कोई छाप छोड़ने में विफल रहा। गूगल अकाउंट के साथ जुड़ा होने के बाद भी फेसबुक के मुकाबले बहुत कम यूजर इसका प्रयोग करते थे। गूगल के एक प्रवक्ता ने भी माना कि गूगल प्लस को लेकर हमारे सामने कई चुनौतियां थीं। हमने ग्राहकों को ध्यान में रखकर इसे तैयार किया, लेकिन यह लोगों की पसंद नहीं बन सका।
खतरे में थे 5 लाख अकाउंट
गूगल प्लस के साथ सबसे बड़ा खतरा इसके 5 लाख यूजर्स के अकाउंट को लेकर था। एक सॉफ्टवेयर गड़बड़ी के कारण 2015 से 2018 के बीच बाहरी डेवलपर्स ने गूगल प्लस प्रोफाइल के डेटा में सेंध लगाने की कोशिश की। गूगल के मुताबिक करीब 5 लाख लोगों के निजी डेटा में सेंध लगाई गई थी। हालांकि गूगल ने दावा किया है कि उस बग को ठीक कर लिया गया था। इससे पहले मार्च 2017 में फेसबुक पर भी डेटा लीक के आरोप लग चुके हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स और लंदन के ऑब्जर्वर की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि राजनीतिक कंसल्टिंग कंपनी कैम्ब्रिज एनालिटिका से संबंधित एक रिसर्चर ने 5 करोड़ फेसबुक यूजर्स की जानकारी में सेंध लगाई है।