नई दिल्ली। टेलीकॉम कंपनी भारती एयरटेल चाहती है कि अन्य मोबाइल ऑपरेटर्स के नेटवर्क से आने वाली इनकमिंग कॉल्स पर इंटरकनेक्शन उपयोग शुल्क (आईयूसी) को 2022 तक जारी रखा जाए। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) को इस बारे में भेजी गई अपनी राय में एयरटेल ने यह विचार व्यक्त किया है।
वोडाफोन आइडिया और सार्वजनिक क्षेत्र की बीएसएनएल ने भी इंटरकनेक्ट उपयोग शुल्क को जारी रखने का पक्ष लिया है। वर्तमान में किसी ऑपरेटर के नेटवर्क पर दूसरे मोबाइल ऑपरेटर्स के नेटवर्क से आने वाली प्रत्येक कॉल पर 6 पैसे प्रति मिनट का आईयूसी शुल्क लगता है।
हालांकि, नई टेलीकॉम कंपनी रिलायंस जियो इस शुल्क को जारी रखने का विरोध कर रही है। ट्राई ने 1 जनवरी, 2020 से आईयूसी व्यवस्था को बिल एंड कीप में बदलने का प्रस्ताव किया है, जिसके तहत कोई ऑपरेटर कॉल के ट्रांसमिशन पर शुल्क नहीं लेगा।
ट्राई ने हाल ही में मोबाइल कॉल टर्मिनेशन शुल्क को समाप्त करने की तारीख को आगे बढ़ाने के बारे में परिचर्चा पत्र जारी किया है। एयरटेल और वोडाफोन आइडिया का कहना है कि आईयूसी वह शुल्क है, जो एक टेलीकॉम ऑपरेटर से उसकी कॉल को पूरा करने के लिए दूसरे ऑपरेटर की सुविधाओं का उपयोग करने के लिए किया जाता है।
एयरटेल ने ट्राई को भेजी अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि बिल एंड कीप व्यवस्था को लागू करने की तारीख को कम से कम तीन साल टाला जाना चाहिए। मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस जियो ने आरोप लगाया है कि ट्राई द्वारा कॉल कनेक्ट शुल्क की समीक्षा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिजिटल इंडिया की सोच के खिलाफ है। इससे न केवल नियामक की विश्वसनीयता प्रभावित होगी बल्कि निवेशकों का भरोसा भी डगमगाएगा। उसका कहना है कि इससे कुछ पुराने टेलीकॉम ऑपरेटर्स के निहित स्वार्थी हितों का ही बचाव होगा और आम उपभोक्ताओं को नुकसान।