नई दिल्ली। भारत में पुराने मोबाइल व अन्य कोई स्टोरेज डिवाइसेस बेचने या एक्सचेंज करने पर 10 में से 7 लोगों को डेटा चोरी का खतरा और निजता को लेकर चिंता बनी रहती है। यह बात हालिया एक रिपोर्ट में सामने आई है।
डेटा की सुरक्षा मामले की विशेषज्ञ कंपनी स्टेलर इन्फॉर्मेशन टेक्नोलोजी प्राइवेट लिमिटेड की रिपोर्ट में सावधान करते हुए कहा गया है कि डिवाइस में बचा हुआ डेटा आसानी से गलत हाथों में पड़ सकता है और इससे पहचान की चोरी, वित्तीय धोखाधड़ी, व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरा और निजता को लेकर समस्या पैदा हो सकती है।
पुराने इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर स्टेलर द्वारा किए गए अध्ययन में कहा गया है कि डेटा चोरी से कारोबार को खतरा पैदा हो सकता है और वित्तीय रिपोर्ट, व्यापारिक समझौते, बौद्धिक संपदा, कारोबारी आसूचना और किसी के नाम से जुड़ी व्यापारिक गोपनीयता जैसी महत्वपूर्ण सूचनाओं का दुरुपयोग हो सकता है।
स्टेलर के सह-संस्थापक और निदेशक (घरेलू व्यवसाय) मनोज धींगरा ने कहा कि ग्राहकों में जानकारी का काफी अभाव होने से साइबर अपराध बढ़ने का खतरा हो सकता है। पुराने आईटी सामान हटाते समय सुरक्षा के तौर पर लोगों को व संगठनों को डेटा संतुष्टि प्रक्रिया को अपनाना अत्यावश्यक है।
देश में स्टेलर की प्रयोगशाला में अध्ययन के दौरान इस्तेमाल किए गए 300 पुराने डिवाइस को शामिल किया गया, जिनमें हार्ड ड्राइव, मेमोरी कार्ड, मोबाइल फोन शामिल थे। विश्लेषण से पता चला कि 71 प्रतिशत डिवाइस में निजी डेटा, व्यक्तिगत पहचान के विवरण और संवेदनशील व्यावसायिक सूचनाएं होती हैं। रिपोर्ट में पुराने डिवाइस बेचते समय डेटा को मिटाने की सुरक्षित विधि का उपयोग करने की सलाह दी गई है।