नई दिल्ली। पांचवीं पीढ़ी की मोबाइल सेवाओं यानी 5जी का परीक्षण चालू वित्त वर्ष की चौथी (जनवरी-मार्च) तिमाही में शुरू होगा। दूरसंचार विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार ने न तो अभी तक किसी आवेदक को स्वीकार किया है और न ही खारिज किया है। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार ने हुवावे की भागीदारी पर कोई फैसला किया है, अधिकारी ने कहा कि 5जी परीक्षण के लिए 12 आवेदन मिले हैं। अभी तक किसी प्रस्ताव को न तो स्वीकारा गया है और न ही खारिज किया गया है।
अधिकारी ने कहा कि 5जी परीक्षण मौजूदा वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में शुरू होगा। एक अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि 5जी से संबंधित कोई भी प्रस्ताव दो चीजों पर आधारित होना चाहिए। पहली नई प्रौद्योगिकी की स्वीकार्यता और राष्ट्रीय सुरक्षा। अधिकारी ने यह भी कहा कि 5जी को सामान्य स्पेक्ट्रम नीलामी से नहीं जोड़ा जाना चाहिए, जिसके अगले साल मार्च-अप्रैल में आयोजित होने की उम्मीद है।
सरकार का 2022 तक सभी गांवों में ब्रॉडबैंड पहुंचाने का वादा
सरकार ने 2022 तक सभी गांवों को ब्रॉडबैंड तक पहुंच उपलब्ध कराने का वादा किया है। सरकार ने महत्वाकांक्षीय राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन की शुरुआत की है। इस मिशन में संबद्ध पक्ष आगामी वर्षों में सात लाख करोड़ रुपए का निवेश करेंगे। इस मिशन के तहत देशभर, विशेषरूप से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में सार्वभौमिक और समानता के आधार पर ब्रॉडबैंड पहुंच उपलब्ध कराई जाएगी। इसके तहत 30 लाख किलोमीटर का अतिरिक्त ऑप्टिकल फाइबर केबल मार्ग बिछाया जाएगा। साथ ही 2024 तक टॉवर का घनत्व भी 0.42 से बढ़ाकर एक टॉवर प्रति हजार आबादी किया जाएगा।
केंद्रीय संचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने मंगलवार को इस मिशन का शुभारंभ किया। इसके तहत मोबाइल और इंटरनेट की सेवाओं की गुणवत्ता सुधारने का भी लक्ष्य है। प्रसाद ने कहा कि 2022 तक हम देश के सभी गांवों तक ब्रॉडबैंड पहुंचा देंगे। देश में टॉवर्स की संख्या बढ़कर 10 लाख हो जाएगी, जो अभी 5.65 लाख है।