हेवी इंडस्ट्रीज यानी भारी उद्योग का भारत की ग्रोथ में बड़ी भूमिका है। रोजगार के लिहाज से यह काफी मायने रखता है। हेवी इंडस्ट्रीज को देश के औद्योगिक और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए रीढ़ की हड्डी के रूप में भी काम करते हैं। ऑटोमोटिव विनिर्माण, ऊर्जा, एयरोस्पेस, रक्षा और अन्य सहित कई क्षेत्र हेवी इंडस्ट्रीज के दायरे में आते हैं। देश की आर्थिक तरक्की को प्रोत्साहित करने के मकसद से सरकार ने साल 2024 में कई पहल की, इससे हेवी इंडस्ट्रीज को काफी मदद मिली।
ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट उद्योग के लिए पीएलआई स्कीम
एंजेल वन के मुताबिक, ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट उद्योग के लिए पीएलआई योजना का मकसद इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) और हाइड्रोजन ईंधन सेल कम्पोनेंट सहित एडवांस ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी में भारत की विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ावा देना है। ₹25,938 करोड़ के बजट के साथ, यह योजना वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2027-28 तक चलने वाली है, जिसमें ईवी और हाइड्रोजन कम्पोनेंट के लिए 13% से 18% तक प्रोत्साहन दिया जाएगा।
सितंबर 2024 तक, इस पहल ने ₹20,715 करोड़ का निवेश आकर्षित किया है। पीएलआई स्कीम के मदद से पांच सालों में 1.4 लाख नौकरियों पैदा होने की उम्मीद है। पीएलआई स्कीम ने पहले ही 82 आवेदकों को मंजूरी दे दी है, जो भारत के ऑटोमोटिव क्षेत्र को महत्वपूर्ण बढ़ावा देने का वादा करता है।
FAME-II योजना
फेम-II योजना, हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों के तेजी से अपनाने और विनिर्माण (FAME-II) योजना भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा दे रही है। ₹11,500 करोड़ के वित्तीय परिव्यय के साथ, यह योजना दोपहिया, तिपहिया, चार पहिया, ई-बस और सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों सहित अलग-अलग प्रकार के ईवी के लिए मांग प्रोत्साहन प्रदान करती है। अक्टूबर 2024 तक, इस योजना ने 16 लाख से अधिक ईवी को प्रोत्साहित किया है और हजारों ईवी चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना का समर्थन किया है। फेम-II ने स्वच्छ परिवहन विकल्पों को अपनाने में योगदान दिया है।
पीएम ई-ड्राइव योजना
सरकार की तरफ से सितंबर 2024 में ₹10,900 करोड़ के कुल परिव्यय के साथ शुरू की गई पीएम ई-ड्राइव योजना हरित गतिशीलता को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। इस योजना के घटकों में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सब्सिडी, ई-बसों की खरीद और ईवी की अलग-अलग कैटेगरी के लिए फास्ट चार्जर का सेट अप शामिल है। नवंबर 2024 तक, इस योजना के तहत ₹600 करोड़ से अधिक के दावे प्रस्तुत किए गए हैं, जो ग्रीन मोबिलिटी के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को और रेखांकित करता है।
इलेक्ट्रिक पैसेंजर कारों की मैनुफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की योजना
इस योजना को भारत में इलेक्ट्रिक पैसेंजर कारों के विनिर्माण में वैश्विक निवेश को आकर्षित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। एंजेल वन के मुताबिक, इस पहल का मकसद भारत को वैश्विक ईवी विनिर्माण क्षेत्र में एक हब के रूप में स्थापित करना है। आवेदकों को इस अवधि के दौरान 25% घरेलू मूल्य संवर्द्धन हासिल करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए तीन सालों के भीतर न्यूनतम ₹4,150 करोड़ का निवेश करना जरूरी है।
पीएम ई-बस सेवा - भुगतान सुरक्षा तंत्र योजना
भारत में इलेक्ट्रिक बसों की सफल तैनाती सुनिश्चित करने के लिए, मंत्रालय ने अक्टूबर 2024 में पीएम ई-बस सेवा भुगतान सुरक्षा तंत्र योजना शुरू की। ₹3,435 करोड़ के परिव्यय के साथ, इस योजना का उद्देश्य सार्वजनिक परिवहन प्राधिकरणों (PTA) द्वारा चूक के मामले में मूल उपकरण निर्माताओं (OEM) और ऑपरेटरों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है। इस पहल में 38,000 ई-बसों की खरीद और संचालन शामिल है और यह सतत शहरी गतिशीलता के निरंतर विकास को सुनिश्चित करता है।
बैटरी स्टोरेज के लिए पीएलआई स्कीम
इनर्जी स्टोरेज सॉल्यूशन की बढ़ती डिमांड का समर्थन करने के लिए, भारत सरकार ने भारत में एडवांस केमिकल सेल के निर्माण के लिए ₹18,100 करोड़ की पीएलआई स्कीन को मंजूरी दी। इस योजना से देश में बैटरी स्टोरेज बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और देश को बैटरी निर्माण के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है। इस पहल का लक्ष्य 30 गीगावाट घंटा की एसीसी विनिर्माण क्षमता स्थापित करना है, जिससे भारत की ऊर्जा भंडारण क्षमताओं को सपोर्ट मिलेगा।