Highlights
- शाओमी (Xiaomi) ने मौजूदा आर्थिक मंदी के बीच 900 से अधिक लोगों को नौकरी से निकाल दिया है।
- 30 जून 2022 तक कंपनी में 32,869 फुल टाइम कर्मचारी थे।
- स्मार्टफोन सेगमेंट से राजस्व 28.5 प्रतिशत गिर गया है।
Xiaomi Layoff: चीनी स्मार्टफोन दिग्गज शाओमी (Xiaomi) ने मौजूदा आर्थिक मंदी के बीच 900 से अधिक लोगों को नौकरी से निकाल दिया है। कहा जा रहा है कि कंपनी के राजस्व में जून तिमाही (दूसरी तिमाही) में लगभग 20 प्रतिशत की गिरावट देखी गई थी। साउथ चाइना मॉर्निग पोस्ट (South China Morning Post) के अनुसार, यह संख्या कुल कर्मचारियों का 3 फीसदी है।
30 जून 2022 तक कंपनी में 32,869 फुल टाइम कर्मचारी थे, जिनमें से 30,110 चीन में स्थित थे। बाकी मुख्य रूप से भारत और इंडोनेशिया में स्थित थे। बता दें, कंपनी के रिसर्च क्षेत्र में 14,700 कर्मचारी थे।
बढ़ती महंगाई है कारण
शाओमी के अध्यक्ष वांग जियांग (Wang Jiang) ने शुक्रवार को अपनी तिमाही आय की रिपोर्ट जारी करने के बाद विश्लेषकों के साथ एक कॉल के दौरान कहा था कि इस तिमाही में हमारे उद्योग को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जिसमें बढ़ती वैश्विक महंगाई, विदेशी मुद्रा में उतार-चढ़ाव और जटिल राजनीतिक वातावरण शामिल हैं।
स्मार्टफोन की बिक्री में भी आई कमी
स्मार्टफोन सेगमेंट से राजस्व 28.5 प्रतिशत गिर गया, जो मुख्य रूप से हमारे स्मार्टफोन की बिक्री में कमी के कारण पिछले साल की दूसरी तिमाही में 59.1 अरब युआन से इस साल 42.3 अरब युआन हो गया।
शिपमेंट भी आ रही लगातार गिरावट
शाओमी ने कहा, "2022 की दूसरी तिमाही में वैश्विक व्यापक आर्थिक अशांति और कोविड-19 के पुनरुत्थान ने स्मार्टफोन के बाजार को प्रभावित किया है। कैनालिस के अनुसार, वैश्विक स्मार्टफोन उद्योग शिपमेंट में साल-दर-साल 8.9 प्रतिशत और तिमाही-दर-तिमाही में 7.7 प्रतिशत की गिरावट आई है और चीन उद्योग शिपमेंट में 10.1 प्रतिशत वर्ष-दर-वर्ष और 10.9 प्रतिशत की गिरावट आई है।
टेंसेंट ने 5,500 कर्मचारियों को निकाला
इससे पहले चीनी समूह टेंसेंट ने जून तिमाही में 19.8 अरब डॉलर का राजस्व आने पर 5,500 कर्मचारियों को निकाल दिया था। हाल ही में जारी हुई पीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई तक अमेरिका में 32,000 से अधिक टेक कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया था। उसमें माइक्रोसॉफ्ट और मेटा (फेसबुक) जैसी बड़ी टेक कंपनियां शामिल है। ऐसा सिर्फ बड़ी कंपनियों में नहीं बल्कि छोटे स्तर की कंपनियों में भी देखने को मिल रहा है।