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World MSME Day: कैश में कारोबार करने वाली इस इंडस्ट्री पर डिजिटल पेमेंट कितना प्रभावी? भारत की इकोनॉमी में 33% का योगदान

World MSME Day 2023: आज के समय में केंद्र सरकार MSME सेक्टर के छोटे उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए काफी प्रयास कर रही है। बिना गारंटी के लोन देने से लेकर आसान इकोसिस्टम मुहैया कराने तक का काम सरकार के नेतृत्व में किया जा रहा है।

Written By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Updated on: June 27, 2023 12:33 IST
World MSME Day- India TV Paisa
Photo:INDIA TV World MSME Day: कैश पर ऐश कब तक?

World MSME Day: भारत एक ऐसा देश है, जहां सदियों से व्यापार होता आ रहा है। इतिहास का पन्ना जब हम पलटते हैं तो कई छोटे-बड़े व्यापारी के बारे में मालूम पड़ता है। आज के समय में सरकार ने एक ऐसा स्टार्टअप इकोसिस्टम तैयार करने की मुहिम छेड़ रखी है, जिससे कई नए स्टार्टअप पैदा हो रहे हैं। उसमें भी खासकर के ऐसे छोटे बिजनेस जिससे एक सीमित क्षेत्र के कुछ लोगों की आजिविका चलती है। इन छोटे व्यापारियों के योगदान को कभी भी उतनी सराहना नहीं मिली है, जिसके ये हकदार थे। आज से ठीक 6 साल पहले यानि 2017 में जब संयुक्त राष्ट्र ने 27 जून को सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यम (MSME Day) दिवस के रूप में सेलिब्रेट करने का निर्णय लिया, तो यह न केवल वैश्विक अर्थव्यवस्था में एमएसएमई द्वारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान की स्वीकृति थी, बल्कि उनकी भूमिका का सम्मान भी था। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, एमएसएमई दुनिया भर में 90% व्यवसायों, 60%-70% से अधिक नौकरियों और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद(GDP) का आधा हिस्सा है।

MSME सेक्टर का भारत की जीडीपी में 33% योगदान

एमएसएमई सेक्टर भारत की जीडीपी में लगभग 33% योगदान दे रहा है। इस इंडस्ट्री के तहत आज के समय में लगभग 60.3 लाख उद्यमों(Enterprises) के जरिए 11 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार मिला है, जो देश के आर्थिक विकास में रणनीतिक भूमिका निभा रही है। वे न केवल भारत के 45% मैन्युफैक्चरिंग गुड्स का उत्पादन करते हैं, बल्कि वे कुल निर्यात में 50% से अधिक का योगदान भी दे रहे हैं। आज भी जब आप बाजार में निकलते हैं और इन सेक्टर से जुड़े लोगों से बात करते हैं तो उनके चेहरे पर कई तरह की चिंताएं दिखाई देती है, जिसमें जीएसटी और बढ़ते यूपीआई पेमेंट का मार्केट भी एक है। इस इंडस्ट्री में जो छोटे व्यापारी हैं, वह आज भी कैश में बिजनेस करना प्रीफर करते हैं। उसके पीछे दो कारण है, कई लोग अभी भी टेक्निकल तौर पर उतने स्ट्रॉन्ग नहीं है और दूसरा कि उनका मानना है कि कैश में अधिक फायदा होता है। यही वजह है कि जब देश में जीएसटी लागू किया गया था तब छोटे-छोटे बिजनेस काफी नुकसान में चले गए थे। यह हाल जब 2016 में नोटबंदी हुई थी तब भी देखने को मिला था। थोड़ा सा पीछे जाकर 2008 का समय याद करें तो मालूम होता है कि जब पूरी दुनिया मंदी के चपेट में थी तब भारत में आराम से व्यापार कर रह था। 

GST लागू होने का कितना प्रभाव

वन नेशन वन टैक्स ने निस्संदेह छोटे व्यवसाय को लाभ पहुंचाया है। शुरुआत में जब इसे लागू किया गया था तब छोटे बिजनेसेज पर इसका थोड़ा-बहुत असर देखने को मिला था, लेकिन अब हर महीने सरकार की तिजोरी में जीएसटी कलेक्शन बढ़ रहा है। इसको लेकर CredAble  के को फाउंडर नीरव चोकसी इंडिया टीवी को बताते हैं कि जीएसटी ने कई अलग-अलग टैक्सों के एक में कर दिया है। इससे राज्य और केंद्र सरकार के साथ-साथ आम जनता को भी फायदा पहुंचा है। इस बात को भी मानना होगा कि अभी जीएसटी में कुछ और सुधार किए जाने की जरूरत है। 

डिजिटल पेमेंट सिस्टम भारत में एक मनी मुवमेंट का काम कर रहा है। पिछले पांच वर्षों में जिस रफ्तार से देश में डिजिटल भुगतान में बढ़ोतरी देखी गई है, वह न् केवल खुदरा व्यापारियों बल्कि बड़े बिजनेस मैन के लिए भी व्यापार को आसान बनाने में एक महत्वपुर्ण भूमिका निभा रहा रहा है। जहां तक रही बात MSME सेक्टर में नगदी प्रवाह की, तो समय के साथ उस इंडस्ट्री में व्यापारी डिजिटल पेमेंट को अपना रहे हैं। यह कारण है कि भारत में महंगाई से लेकर विकास दर में लगातार वृद्धि देखी जा रही है।

2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की होगी MSME इंडस्ट्री

एमएसएमई सेक्टर के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा काइजन इंस्टीट्यूट भारत के एमएसएमई सेक्टर को 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान लगा रहा है। इसके ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर जयन्त मूर्ति बताते हैं कि भारत के 95 प्रतिशत से अधिक एमएसएमई को सूक्ष्म-फर्मों के रूप में पहचाने गए हैं, जो अक्सर सीमित संसाधनों के साथ काम करते हैं और नए बाजारों में विस्तार करने के लिए संघर्ष करते रहते हैं, इसलिए उनकी चुनौतियों का समाधान करना जरूरी है। बड़े उद्यमों की तुलना में एमएसएमई को कम परिचालन मार्जिन का सामना करना पड़ता है, जिससे उन्हें पनपने में बाधा आती है। इसके अतिरिक्त, औपचारिक लोन तक पहुंच की कमी के कारण एमएसएमई महंगे अनौपचारिक ऋण विकल्पों पर निर्भर हैं।

लोन देने के तरीकों में करना होगा सुधार?

दिल्ली में डिजिटल हाउसकीपिंग से जुड़ा अपना स्टार्टअप चला रहे रवि रंजन इंडिया टीवी को बताते हैं कि आज के समय में MSME इंडस्ट्री के तहत छोटे व्यापार के लिए भी आसानी से बिना किसी गारंटी के सरकार लोन दे दे रही है, इसका सरकार की तिजोरी पर काफी असर पड़ रहा है। ऐसे में सरकार को किसी भी नए बिजनेस या स्टार्टअप को बिना गारंटी लोने देने से पहले उसका एक बार मुल्यांकन करना चाहिए कि वह आईडिया चल सकता है या नहीं। साथ ही सरकार को उस कंपनी में कुछ% की इक्विटी भी लेनी चाहिए। अगर फंड देने से पहले उस स्टार्टअप का मुल्यांकन होता है तो वह भविष्य में अच्छा रिटर्न दे सकता है। अच्छा रिटर्न मिलने पर सरकार का दिया हुआ पैसा उसे वापस मिल सकता है।

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