दुनिया भर में कम से कम आधी कंपनियां (Companies) आर्थिक मंदी के बीच कर्मचारियों की छंटनी करने की योजना बना रही हैं। हाल ही में जारी हुए एक रिपोर्ट से पता चला है कि ये कंपनियां भविष्य में को ध्यान में रखते हुए ऐसा कर रही हैं। उनका मानना है कि अगर मंदी आती है तो कंपनी को बचाए रखने के लिए वर्क फोर्स को कम करना जरूरी है।
क्या कहती है रिपोर्ट
रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई तक अमेरिका में 32,000 से अधिक टेक कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया था। उसमें माइक्रोसॉफ्ट और मेटा (फेसबुक) जैसी बड़ी टेक कंपनियां शामिल है। ऐसा सिर्फ बड़ी कंपनियों में नहीं बल्कि छोटे स्तर की कंपनियों में भी देखने को मिल रहा है।
भारत में क्या है स्थिति
भारत में महामारी शुरू होने के बाद से 25,000 से अधिक कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया है। इनमें सबसे ज्यादा संख्या नए स्टार्टअप में काम करने वाले लोगों की है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल अभी तक 12 हजार से अधिक कर्मचारी अपनी नौकरी से हाथ धो चुके हैं।
पीडब्ल्यूसी इंडिया की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत में कार्यस्थल पर कामकाज के तरीके में काफी बदलाव आया है। नियोक्ता और कर्मचारी दोनों की मानसिकता में बदलाव देखा गया है। यह रिपोर्ट पीडब्ल्यूसी के ‘ग्लोबल वर्कफोर्स होप्स एंड फियर्स सर्वे 2022’ के निष्कर्षों पर आधारित है। सर्वेक्षण में भारत के 2,608 कर्मचारियों ने भाग लिया और इसमें से 93 प्रतिशत स्थायी कर्मचारी हैं।
नौकरी बदलने की संभावना काफी अधिक
सर्वेक्षण में 34 प्रतिशत कर्मचारियों ने कहा कि उनके नौकरी बदलने की संभावना काफी अधिक है। जबकि वैश्विक स्तर पर 19 प्रतिशत कर्मचारियों ने यह राय जताई। इसके अलावा 32 प्रतिशत कर्मचारी नौकरी छोड़ने की भी योजना बना रहे हैं। वहीं, 1981 और 1996 के बीच पैदा हुए कर्मचारियों की नयी नौकरी तलाश करने की सबसे अधिक संभावना है। ऐसे 37 प्रतिशत ने संकेत दिया है कि वे अगले एक साल में नौकरी बदल सकते हैं। सर्वेक्षण के अनुसार, 1990 के दशक के अंत में और 2010 के दशक की शुरुआत में जन्मे कर्मचारियों के नौकरी छोड़ने की संभावना सबसे कम है।
जून में 7.80 प्रतिशत थी बेरोजगारी दर
देश में बेरोजगारी दर जून में बढ़कर 7.80 प्रतिशत पर पहुंच गयी थी। जो उसके पिछले महीने यानि मई में विशेषकर कृषि क्षेत्र में 1.3 करोड़ लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा, जिसके कारण बेरोजगारी बढ़ी है। आर्थिक शोध संस्थान सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के अनुसार, जून महीने में रोजगार में कमी से ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर बढ़कर 8.03 प्रतिशत पर पहुंच गयी जो मई में 7.30 प्रतिशत थी। शहरी क्षेत्रों में स्थिति कुछ बेहतर रही और बेरोजगारी दर 7.3 प्रतिशत दर्ज की गयी, जबकि मई में यह 7.12 प्रतिशत थी। आंकड़ों के अनुसार, बेरोजगारी की सबसे ऊंची दर हरियाणा में 30.6 प्रतिशत रही। इसके बाद क्रमश: राजस्थान में 29.8 प्रतिशत, असम में 17.2 प्रतिशत, जम्मू-कश्मीर में 17.2 प्रतिशत और बिहार में 14 प्रतिशत रही।