Highlights
- विकासशील देशों में पूंजी प्रवाह बंद
- विकासशील देशों में कर्ज बढ़ने का कारण उच्च ब्याज दर
- विकासशील देशों के सामने कर्ज संकट की समस्या
Global Recession 2022: आने वाला साल दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं के लिए संकट भरा होने जा रहा है। विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास ने गुरुवार को आगाह किया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था खतरनाक रूप से मंदी की ओर बढ़ रही है। उन्होंने गरीबों को लक्षित समर्थन देने का भी आह्वान किया। मालपास ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्व बैंक की सालाना बैठक के दौरान अलग से संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने 2023 के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को तीन प्रतिशत से घटाकर 1.9 प्रतिशत कर दिया है। वैश्विक अर्थव्यवस्था खतरनाक रूप से मंदी की ओर बढ़ रही है। वैश्विक मंदी कुछ परिस्थितियों के अंतर्गत हो सकती है।’’
विकासशील देशों में जो पूंजी प्रवाह बंद
उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति की समस्या है, ब्याज दर बढ़ रही है और विकासशील देशों में जो पूंजी प्रवाह हो रहा था, वह बंद हो गया है। इससे गरीबों पर असर पड़ रहा है। मालपास ने कहा, ‘‘हम विकासशील देशों में लोगों को आगे बढ़ने में मदद करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं...बेशक, सभी देश अलग हैं, हम आज कुछ देशों की चर्चा करेंगे।’’
विकासशील देशों में कर्ज बढ़ने का कारण उच्च ब्याज दर
उन्होंने कहा कि विकासशील देशों में कर्ज बढ़ने का कारण उच्च ब्याज दर है। एक तरफ कर्ज बढ़ रहा है और दूसरी तरफ उनकी मुद्राएं कमजोर हो रही हैं। मालपास ने कहा, ‘‘मुद्रा के मूल्य में गिरावट कर्ज का बोझ बढ़ा रही है। विकासशील देशों के समक्ष कर्ज संकट की समस्या है...।’’ उन्होंने बहुपक्षीय संस्थान की ओर से गरीबों को लक्षित समर्थन देने का भी आह्वान किया।
वैश्विक मंदी की चिंता के बीच भारत को लेकर आई अच्छी खबर
वहीं, आपको बता दें कि दुनिया के मंदी में जाने की आशंकाओं के बीच 2022-23 में भारत सात प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था के तौर पर उभरेगा। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के सदस्य संजीव सान्याल ने यह कहा। सान्याल ने कहा कि 2000 की शुरुआत में बाहरी माहौल जिस तरह से सकारात्मक था, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था वृद्धि कर रही थी वैसे माहौल में भारत नौ प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कर सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित ही ऐसा माहौल बनने जा रहा है जहां दुनियाभर के कई देशों को कम वृद्धि का सामना करना पड़ेगा बल्कि वे मंदी में भी जा सकते हैं।’’