ऑफिस में सीनियर लेवल पर महिलाओं की संख्या घट गई है। इसकी वजह कंपनियों की ओर से वर्क फ्रॉम ऑफिस पर जोर देना है। सलाहकार फर्म ग्रांट थॉर्नटन इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, लगातार तीसरे साल ऑफिस में विविधता को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक मानी जाने वाली वरिष्ठ प्रबंधन भूमिकाओं में महिलाओं की हिस्सेदारी कम हुई है। लगभग चार साल पहले कोविड महामारी की शुरुआत ने घर से काम (वर्क फ्रॉम होम) करने की प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया था। इससे कामकाजी परिवेश बेहद लचीला बन गया था और मुश्किल दौर में भी महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी बनी रही।
लेकिन महामारी का प्रकोप खत्म होने के बाद कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को दोबारा ऑफिस बुलाना शुरू कर दिया। हालांकि, कुछ कंपनियों ने बाद में भी हाइब्रिड कामकाजी मॉडल को जारी रखा जिसमें कर्मचारियों को घर से भी काम करने की सुविधा मिलती है। हालांकि, अब हाइब्रिड कामकाजी मॉडल को भी कंपनियां बंद कर रही हैं। इसका असर कार्यबल खासकर वरिष्ठ प्रबंधन स्तर पर महिलाओं की भागीदारी पर देखने को मिल रहा है।
हाइब्रिड मॉडल भी खत्म कर रही कंपनियां
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से पहले आई यह रिपोर्ट कई कंपनियों की वरिष्ठ प्रबंधन पदों पर बैठी लगभग 300 महिलाओं से मिले जवाब पर आधारित है। सलाहकार फर्म ने कहा कि भारतीय मध्य-बाजार कंपनियों में 34 प्रतिशत महिलाएं फिलहाल वरिष्ठ प्रबंधन पदों पर हैं जबकि 2023 में 36 प्रतिशत और 2022 में 38 प्रतिशत से थोड़ी कम थी। हालांकि, 34 प्रतिशत की मौजूदा हिस्सेदारी भी 2004 के 12 प्रतिशत और 2014 के 14 प्रतिशत अनुपात की तुलना में बहुत अधिक है। हाइब्रिड मॉडल की सुविधा देने वाली कंपनियों की संख्या पिछले साल 62.3 प्रतिशत थी लेकिन यह घटकर 2024 में 56.5 प्रतिशत रह गई। इसके उलट अपने कर्मचारियों को दफ्तर आकर काम करने के लिए कहने वाली कंपनियां 2023 के 27.4 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 34.7 प्रतिशत हो गई हैं। इसका असर यह हुआ है कि अपने घरों से बाहर काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या घटकर सिर्फ 1.8 प्रतिशत रह गई है जबकि 2023 में यह आंकड़ा 5.3 प्रतिशत था।
काम और जिंदगी के बीच संतुलन मुश्किल
कामकाज और निजी जिंदगी के बीच संतुलन महिलाओं के लिए करियर में आगे बढ़ने की राह में एक बड़ी बाधा है। शिक्षा-प्रौद्योगिकी स्टार्टअप 'हीरो वायर्ड' की तरफ से कराए गए इस सर्वे के मुताबिक, 70 प्रतिशत लोगों का मानना है कि महिलाओं के लिए काम एवं जिंदगी के बीच संतुलन साधना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। इससे महिलाओं का करियर विकास भी प्रभावित होता है। सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 77 प्रतिशत प्रतिभागियों का मत है कि पिछले वर्षों की तुलना में नेतृत्व वाले पदों पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ा है। रिपोर्ट के मुताबिक, करियर में दोबारा सहज होने और आगे बढ़ने की इच्छा के बावजूद ये चुनौतियां अक्सर महिलाओं को कार्यस्थल में अपनी क्षमता का पूरी तरह लाभ उठाने से रोकती हैं। हालांकि 59 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि आज के कार्यबल में महिलाओं के पास पुरुषों के समान अवसर हैं, जो कार्यस्थल समानता की दिशा में बदलती गतिशीलता को दर्शाता है। इसके अलावा, 78 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने नेतृत्व पदों पर अधिक महिलाओं की मौजूदगी से होने वाले लाभ को स्वीकार किया। उनका मानना है कि यह कार्यस्थल संस्कृति में विविधता और समावेशन को बढ़ावा देने में योगदान देता है।