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भारत के इस कदम से चीन का बजने लगा बैंड, 80 हजार युवाओं को मिलेगी नौकरी

चिप डिजाइन में भारत के पास पहले से ही गहरी क्षमताएं हैं। उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि इन इकाइयों के साथ देश चिप निर्माण में भी क्षमता विकसित करेगा, जिससे आने वाले वर्षों में चीन की बाजार हिस्सेदारी और भी चुनौतीपूर्ण हो जाएगी।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: March 06, 2024 19:37 IST
Chip- India TV Paisa
Photo:FILE चिप

भारत अगले सप्ताह 15.14 अरब डॉलर की तीन नई सेमीकंडक्टर परियोजनाओं के संभावित भूमि पूजन समारोह के साथ अपनी महत्वाकांक्षी सेमीकंडक्टर उद्योग की दिशा में कदम बढ़ाना शुरू कर रहा है, जिसमें टाटा समूह की दो कांपनियां भी शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह ऐतिहासिक पहल शुरू की गई है, जिससे वैश्विक सिलिकॉन बाजार में चीन के प्रभुत्व को झटका लगना शुरू हो गया है। आपको बता दें कि सेमीकंडक्टर बाजार में अभी चीन का दबदबा है। अब यह दबदबा भारत तोड़ रहा है। पहले ही चीन आर्थिक मंदी की चपेट में है। अब इस कदम से उसका बैंड बजना तय माना जा रहा है। 

80 हजार युवाओं को मिलेगी नौकरी 

केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी दिए जाने के बाद दो सप्ताह से भी कम समय में तीन चिप संयंत्रों की नींव पड़ने की संभावना है, जो 20,000 उन्नत प्रौद्योगिकी नौकरियों और लगभग 60,000 अप्रत्यक्ष नौकरियों के प्रत्यक्ष रोजगार पैदा करने के लिए तैयार हैं। नई इकाइयां, जिनमें गुजरात के धोलेरा में ताइवान के पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्प (पीएसएमसी) के साथ टाटा का फैब शामिल है, उच्च प्रदर्शन वाले चिप्स के लिए प्रति माह 50,000 वेफर्स का लक्ष्य रखता है। उन्नत पैकेजिंग तकनीकों के लिए असम में टाटा की असेंबली, परीक्षण, निगरानी व पैकिंग (एटीएमपी) इकाई और रेनेसा इलेक्ट्रॉनिक्स व स्टार्स माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स के साथ सीजी पावर की गुजरात इकाई, पर्याप्त निवेश और वैश्विक साझेदारी के जरिए एक मजबूत सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिए भारत की प्रतिबद्धता को चिह्नित करती है।

चीन की बाजार हिस्सेदारी गिरेगी 

चिप डिजाइन में भारत के पास पहले से ही गहरी क्षमताएं हैं। उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि इन इकाइयों के साथ देश चिप निर्माण में भी क्षमता विकसित करेगा, जिससे आने वाले वर्षों में चीन की बाजार हिस्सेदारी और भी चुनौतीपूर्ण हो जाएगी। मूडीज एनालिटिक्स की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, सेमीकंडक्टर उद्योग में नया निवेश चीन से दूर जा रहा है और इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन "निकट भविष्य में एशिया में ही बना रहेगा"।

गुजरात में आ रहा बड़ा निवेश 

गुजरात में 22,500 करोड़ रुपये के माइक्रोन सेमीकंडक्टर प्लांट से पहली भारत निर्मित चिप इस साल दिसंबर में आने वाली है। माइक्रोन प्लांट के अलावा, ताइवान के पीएसएमसी के साथ टाटा के सेमीकंडक्टर फैब का निर्माण 91,000 करोड़ रुपये के निवेश से किया जाएगा। यह फैब 28 एनएम तकनीक के साथ उच्च प्रदर्शन वाले कंप्यूट चिप्स और इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी), दूरसंचार, रक्षा, ऑटोमोटिव, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, डिस्प्ले, पावर इलेक्ट्रॉनिक्स आदि के लिए पावर प्रबंधन चिप्स को कवर करेगा। असम के मोरीगांव में टाटा सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट प्राइवेट लिमिटेड (टीएसएसटी) द्वारा प्रतिदिन 48 मिलियन की क्षमता वाली चिप असेंबली, टेस्टिंग, मॉनिटरिंग और पैकिंग (एटीएमपी) यूनिट 27,000 करोड़ रुपये के निवेश से स्थापित की जाएगी।

ये कंपनियां कर रही निवेश 

विशेष चिप्स के लिए तीसरी सेमीकंडक्टर एटीएमपी इकाई सीजी पावर द्वारा रेनेसास इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन, जापान और स्टार्स माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स, थाईलैंड के साथ साझेदारी में गुजरात के साणंद में स्थापित की जाएगी, जिसकी क्षमता 15 मिलियन प्रतिदिन और 7,600 करोड़ रुपये का निवेश होगा। नवीनतम सरकारी आंकड़ों के अनुसार, "मोबाइल फोन का निर्यात भी 2014-15 में अनुमानित 1,566 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 में अनुमानित 90,000 करोड़ रुपये हो गया है, जिससे निर्यात में 5,600 प्रतिशत से अधिक की प्रभावशाली वृद्धि हुई है।"

इनपुट: आईएएनएस

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