कर्मचारी किसी भी संगठन के लिए सबसे महत्वपूर्ण संसाधन होते हैं। लेकिन बीते एक साल से IT कंपनियों ने मुनाफा कमाने के लिए जितनी तेजी से कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है, उसने इस सोच की नींव ही हिला दी है। लेकिन भारतीय कंपनियां कुछ अलग ही करने की दिशा में बढ़ रही हैं। जिस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के चलते कंपनियां कर्मचारियों को निकाल रही हैं, उसी AI की ट्रेनिंग देने के लिए देश की तीसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी विप्रो लिमिटेड कर्मचारियों पर 1 अरब डॉलर की राशि खर्च करने की तैयारी कर रही है।
2.5 लाख कर्मचारियों को मिलेगी AI की ट्रेनिंग
विप्रो ने बुधवार को अपने सभी 2.5 लाख कर्मचारियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) में प्रशिक्षित करने और उत्पादों की पेशकश में इस प्रौद्योगिकी को अपनाने पर एक अरब डॉलर खर्च करने का ऐलान किया है। विप्रो ने बयान में कहा कि अगले तीन वर्षों में खर्च की जाने वाली इस राशि का एक हिस्सा क्लाउड, डेटा एनालिटिक्स, परामर्श एवं इंजीनियरिंग टीम के 30,000 कर्मचारियों को एक साथ लाकर सभी आंतरिक परिचालन और ग्राहकों को दिए जाने वाले समाधानों में इस प्रौद्योगिकी को अपनाने पर खर्च किया जाएगा।
अगले 1 साल तक मिलेगी ट्रेनिंग
कंपनी ने कहा, ‘‘विप्रो अपने सभी 2.5 लाख कर्मचारियों को एआई के बुनियादी पहलुओं और इसके जिम्मेदार इस्तेमाल के लिए अगले 12 महीनों में प्रशिक्षित करेगी। कंपनी एआई-विशिष्ट भूमिकाओं में कर्मचारियों को अनुकूलित प्रशिक्षण आगे भी देती रहेगी।’’ कृत्रिम मेधा को अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में लाखों करोड़ डॉलर का कारोबार खड़ा करने में सक्षम बनाया जा रहा है।
चैटजीपीटी जैसे सॉफ्टवेयर सीखेंगे कर्मचारी
चैटजीपीटी, गिटहब कोपायलट और स्टेबल डिफ्यूजन जैसे जेनरेटिव एआई ने पिछले कुछ महीनों में दुनियाभर का ध्यान आकर्षित किया है। विप्रो इन संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए अपने कर्मचारियों को एआई में प्रशिक्षित करने जा रही है। इसके लिए वह एक ‘पाठ्यक्रम’ भी तैयार करेगी जिसमें विभिन्न स्तर के कर्मचारियों के लिए अलग-अलग भूमिकाएं रखी जाएंगी। इससे कंपनी को अपनी शोध एवं विकास गतिविधियों और डेटा एनालिटिक्स पर पकड़ मजबूत होने की उम्मीद है।