कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के साथ ही सरकार ने एक बार फिर विंडफॉल टैक्स में बढ़ोत्तरी का फैसला कर लिया है। इसके तहत सरकार ने डीजल के निर्यात पर लगने वाले विंडफॉल टैक्स में बढ़ोतरी कर दी है। ताजा वृद्धि के बाद अब डीजल पर विंडफॉल टैक्स बढ़कर एक रुपये प्रति लीटर हो गया है। दूसरी ओर सरकार ने घरेलू स्तर पर उत्पादन किए जाने वाले कच्चे तेल पर कर में कटौती की गई है। हालांकि इस बदलाव का आम उपभोक्ताओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। यह फैसला रिलायंस और ओएनजीसी जैसी रिफाइंड तेल निर्यात करने वाली कंपनियों को प्रभावित करेगा।
सरकार की तरफ से 20 मार्च को जारी एक आदेश में बताया गया कि ओएनजीसी जैसी तेल उत्पादक कंपनियों के कच्चे तेल उत्पादन पर लगने वाले शुल्क को 4,400 रुपये प्रति टन से घटाकर 3,500 रुपये प्रति टन कर दिया गया है। डीजल निर्यात पर कर 0.50 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर एक रुपये प्रति लीटर किया गया है। विमान ईंधन एटीएफ पर लगने वाले कर में कोई बदलाव नहीं है और यह शून्य बना हुआ है। आदेश में कहा गया कि नई कर दरें 21 मार्च से प्रभाव में आएंगी।
4 मार्च को की गई कटौती
जमीन एवं समुद्र के भीतर से उत्खनित कच्चे तेल का शोधन कर उसे पेट्रोल, डीजल एवं विमान ईंधन जैसे अलग-अलग ईंधनों में परिवर्तित किया जाता है। बीते चार मार्च को सरकार ने डीजल के निर्यात पर लगने वाले अप्रत्याशित लाभ कर में कटौती करते हुए 0.50 रुपये प्रति लीटर करने के साथ ही विमान ईंधन एटीएफ पर लगने वाले कर को शून्य कर दिया था। सरकार ने गत वर्ष जुलाई में पहली बार तेल उत्पादक कंपनियों पर अप्रत्याशित लाभ कर लगाया था।