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रियल एस्टेट में क्या प्राइस बबल फूटेगा‌‌? इस रिपोर्ट के आंकड़े ने चौंकाया

रिपोर्ट के अनुसार,देश के सात प्रमुख शहरों में फ्लैट की आपूर्ति बढ़ने से सात प्रमुख शहरों में अनसोल्न्ड घरों की संख्या 2019 की तुलना में 24 प्रतिशत बढ़ गई है। इन घरों की बिक्री करने में बिल्डरों को 22 महीने का समय लगेगा। मार्च, 2024 तक अनसोल्न्ड घरों की संख्या लगभग 4,68,000 थी जो दिसंबर 2019 की तुलना में 24 प्रतिशत अधिक

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Updated on: June 06, 2024 23:20 IST
Real Estate - India TV Paisa
Photo:FILE रियल एस्टेट

देश में रेजिडेंशियल या कमर्शियल प्रॉपर्टी की कीमत उफान पर है। बीते दो साल में अधिकांश शहरों में प्रॉपर्टी की कीमत दोगुनी से अधिक हो गई है। कई शहरों में कीमत इससे भी ज्यादा बढ़ी है। प्रॉपर्टी की कीमत में उछाल की वजह जबरदस्त डिमांड और कम सप्लाई बताया जा रहा है। यानी जितनी फ्लैट की मांग है, उतनी बाजार में सप्लाई नहीं हो रही है। ये बातें बिल्डर और ब्रोकर कह रहे हैं। उनका कहना है कि इसलिए कीमत लगातार बढ़ रही है। फ्लैट के कीमत में असमान उछाल आने से आम आदमी अपने आशियाने के सपने को पूरा नहीं कर पा रहा है। लेकिन, क्या हकीकत में प्रॉपर्टी की आपूर्ति कम और खरीदार ज्यादा हैं? अगर रियल एस्टेट सलाहकार जेएलएल इंडिया की रिपोर्ट की माने तो पर्दे की पीछे की तस्वीर बिल्कुल अलग है। 

रिपोर्ट के अनुसार,देश के सात प्रमुख शहरों में फ्लैट की आपूर्ति बढ़ने से सात प्रमुख शहरों में अनसोल्न्ड घरों की संख्या 2019 की तुलना में 24 प्रतिशत बढ़ गई है। इन घरों की बिक्री करने में बिल्डरों को 22 महीने का समय लगेगा। मार्च, 2024 तक अनसोल्न्ड घरों की संख्या लगभग 4,68,000 थी जो दिसंबर 2019 की तुलना में 24 प्रतिशत अधिक है। यानी जानबूझकर बिल्डर और ब्रोकर प्राइस बबल बना रहे हैं। अगर समय रहते इसपर लगाम नहीं लगाया तो कभी भी यह बबल फूट सकता है। इसकी चपेट में बैंकिंग सेक्टर से लेकर घर खरीदार आएंगे। 

इन शहरों में अनसोल्ड घरों का अंबार 

इन शहरों में दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, पुणे, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद और कोलकाता शामिल हैं। बनकर तैयार घरों की संख्या बढ़ने के बावजूद इनकी बिक्री के अनुमानित समय में उल्लेखनीय कमी आई है। जेएलएल ने कहा, "अनबिके घरों को बेचने में लगने वाले समय में 31 प्रतिशत की महत्वपूर्ण कमी आई है। जनवरी-मार्च तिमाही में इन घरों की बिक्री का अनुमानित समय घटकर सिर्फ 22 महीने रह गया जबकि 2019 के अंत तक यह समय 32 महीने था। मुख्य रूप से आवास की मांग में तेज वृद्धि के कारण ऐसा हुआ है।" यह आकलन पिछली आठ तिमाहियों में दर्ज औसत बिक्री दर पर आधारित है। इन आंकड़ों में सिर्फ अपार्टमेंट फ्लैट ही शामिल किए गए हैं। 

विला और भूखंड को बाहर रखा गया

इसमें भूखंड पर बने घर, विला और भूखंड विकास को विश्लेषण से बाहर रखा गया है। मुंबई बाजार में मुंबई शहर, मुंबई उपनगर, ठाणे शहर और नवी मुंबई शामिल हैं जबकि दिल्ली-एनसीआर बाजार में दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद और सोहना शामिल हैं। 

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