सरकार को आगामी बजट 2023-24 में पीएम-किसान योजना के तहत किसानों को दी जाने वाली नकद सहायता को बढ़ाना चाहिए। उद्योग के विशेषज्ञों ने यह सलाह दी है। कृषि रसायन कंपनी धानुका समूह के चेयरमैन आर जी अग्रवाल ने कहा कि किसानों को पीएम-किसान कार्यक्रम के तहत अधिक राशि दी जानी चाहिए ताकि वे पर्याप्त मात्रा में बीज, उर्वरक और कीटनाशक खरीद सकें। पीएम किसान योजना के तहत, केंद्र सरकार तीन समान किस्तों में सालाना कुल 6,000 रुपये देती है। अग्रवाल ने कृषि क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों और विस्तार सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए कुछ प्रोत्साहन की भी मांग की। सिंजेंटा इंडिया के मुख्य वहनीयता अधिकारी (सीएसओ) के सी रवि ने कहा कि कृषि क्षेत्र में लागत बढ़ गई है। उन्होंने कहा, पीएम-किसान के लिए अधिक परिव्यय से यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि किसानों को खेती करने के लिए अधिक नकदी मिले।
तिलहन का उत्पादन बढ़ाने पर जोर देने की मांग
खाद्य तेल उद्योग के निकाय एसईए ने तिलहन उत्पादन बढ़ाने और खाद्य तेल के आयात को कम करने के लिए एक राष्ट्रीय मिशन शुरू करने की मांग की। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अध्यक्ष अजय झुनझुनवाला ने कहा, तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त वित्तीय सहायता के साथ 'खाद्य तेलों पर राष्ट्रीय मिशन' शुरू करने की तत्काल आवश्यकता है। मौजूदा समय में भारत सालाना करीब 140 लाख टन खाद्य तेलों का आयात कर रहा है। उन्होंने कहा कि 2026 तक आयातित खाद्य तेलों पर हमारी निर्भरता कम करने के लिए मिशन को 25,000 करोड़ रुपये के वार्षिक परिव्यय की जरूरत है।
बजट में मांगी राहत: सर्वेक्षण
देश के 309 जिलों मे कराए गए एक अध्ययन में शामिल परिवारों में आधे से ज्यादा ने अपनी आय में 25 प्रतिशत तक गिरावट की आशंका जताई। ऑनलाइन मंच लोकलसर्किल्स ने बताया कि ये परिवार आगामी बजट में राहत की उम्मीद कर रहे हैं। पिछले साल 25 नवंबर से इस साल 25 जनवरी तक हुए इस अध्ययन के अनुसार 52 प्रतिशत उत्तरदाता मानते हैं कि छंटनी और भर्तियों में कमी के कारण आगामी छह से 12 महीनों तक आर्थिक अस्थिरता बनी रहेगी। लोकलसर्किल्स ने कहा कि इस अध्ययन के लिए उसने 309 जिलों के 37,000 परिवारों से राय ली। इनमें प्रथम श्रेणी, दूसरी श्रेणी और छोटे कस्बों के लोग शामिल हैं। अध्ययन में 64 प्रतिशत पुरुष और 36 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं।