Saturday, October 05, 2024
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BJP को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने से क्या मोदी नहीं ले पाएंगे बड़े फैसले? फिच रेटिंग्स ने बताया कहां आएगी दिक्कत

फिच ने उम्मीद जतायी कि बहुमत कम होने के बावजूद नीतिगत निरंतरता बनी रहेगी। उसने सरकार के पूंजीगत व्यय बढ़ाने, कारोबार सुगमता के उपायों और धीरे-धीरे राजकोषीय समेकन पर अपना ध्यान केंद्रित करने को लेकर भी उम्मीद जाहिर की।

Edited By: Pawan Jayaswal
Updated on: June 06, 2024 6:23 IST
मोदी सरकार- India TV Paisa
Photo:FILE मोदी सरकार

देश में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अपना पूर्ण बहुमत खोने और सरकार बनाने के लिए सहयोगी दलों पर निर्भर होने से भूमि तथा श्रम जैसे महत्वाकांक्षी सुधार एजेंडे के लिए चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं। फिच रेटिंग्स ने बुधवार को यह बात कही। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत भाजपा ने 2014 के बाद पहली बार अपना बहुमत खो दिया और 543 सीट वाली लोकसभा में से 240 सीट ही हासिल कर पाई। वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने की योजना बना रही है, जिसने 52 सीट जीती हैं। इससे गठबंधन को 292 सीट का बहुमत हासिल हो जाता है।

महत्वकांक्षी सुधार एजेंडे के लिए चुनौतियां

फिच रेटिंग्स ने कहा, ‘‘ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा नीत राजग अगली सरकार बनाएगी और प्रधानमंत्री मोदी तीसरी बार सत्ता में वापस आएंगे। हालांकि, कमजोर बहुमत के साथ यह सरकार के महत्वाकांक्षी सुधार एजेंडे के लिए चुनौतियां खड़ी कर सकता है।’’ रेटिंग एजेंसी ने कहा, ‘‘चूंकि भाजपा पूर्ण बहुमत से चूक गई है और उसे अपने गठबंधन सहयोगियों पर अधिक निर्भर रहना होगा, इसलिए विवादास्पद सुधारों को पारित करना अधिक कठिन हो सकता है। खासकर भूमि और श्रम के संबंध में जिन्हें हाल ही में भाजपा ने भारत की विनिर्माण प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिए प्राथमिकता के रूप में चिह्नित किया है।’’

नीतिगत निरंतरता बनी रहेगी

हालांकि, फिच ने उम्मीद जतायी कि बहुमत कम होने के बावजूद नीतिगत निरंतरता बनी रहेगी। उसने सरकार के पूंजीगत व्यय बढ़ाने, कारोबार सुगमता के उपायों और धीरे-धीरे राजकोषीय समेकन पर अपना ध्यान केंद्रित करने को लेकर भी उम्मीद जाहिर की। एजेंसी ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि भारत का मजबूत मध्यम अवधि का विकास परिदृश्य बरकरार रहेगा, जिसे सरकारी पूंजीगत व्यय अभियान और बेहतर कॉर्पोरेट स्थिति व बही-खाते से बल मिलेगा। अगर सुधारों को आगे बढ़ाना अधिक चुनौतीपूर्ण साबित होता है, तो मध्यम अवधि की विकास संभावनाओं में उछाल बेहद मामूली रहने का अनुमान है।"

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