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RBI policy: आरबीआई पॉलिसी क्यों हर दो महीने में आता है? इसमें किन बातों की समीक्षा की जाती है?

6 फरवरी से 8 फरवरी के बीच चलने वाली आरबीआई की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की बैठक आज से शुरु हो गई है। पिछली बार भी ये बैठक दो महीने पहले दिसंबर में हुई थी। हर दो महीने में इसकी बैठक क्यों होती है? और किन बातों की समीक्षा की जाती है, आइए जानते हैं।

Edited By: India TV Paisa Desk
Published on: February 06, 2023 20:56 IST
RBI policy- India TV Paisa
Photo:INDIA TV आरबीआई पॉलिसी से जुड़ी अहम जानकारी

RBI policy: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) 6 से 8 फरवरी के बीच चलने वाली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में एक बार फिर से रेपो रेट बढ़ाने पर विचार कर सकता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस बार 0.25 बेसिस प्वाइंट की रेपो रेट में बढ़ोतरी होगी। इसका सीधा असर होम और कार लोन के ईएमआई पर पड़ेगा और वह महंगे हो जाएंगे। पिछले 5  मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक से रेपो रेट में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। उससे पहले कोरोना महामारी के दौरान रेपो रेट में कमी भी कई गई थी। ऐसे में सवाल ये उठता है कि ये मौद्रिक नीति समीक्षा की बैठक हर दो महीने में ही क्यों होती है? और मीटिंग के दौरान किन बातों पर चर्चा होती है? आज की स्टोरी में इन सभी सवालों के जवाब जानेंगे।

इस समिति को लेकर क्या कहता है संविधान?

भारतीय रिजर्व बैंक के अधिनियम 1934 (जिसे 2016 में संशोधित किया गया था) में कहा गया है कि आरबीआई को विकास के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखने के लिए मौद्रिक नीति संचालन की जिम्मेदारी सौंपी गई है। आसान भाषा में कहा जाए तो देश में बढ़ती महंगाई और अचानक से मार्केट में कम होती समान की मांग के बीच बैलेंस बनाए रखने के लिए समय-समय पर बैठक करनी होती है। धारा 45ZA के तहत केंद्र सरकार के साथ आरबीआई परामर्श कर हर पांच साल में एक बार महंगाई का लक्ष्य निर्धारित करती है और उसे सरकारी राजपत्र में अधिसूचित करती है। पिछली बार यह निर्धारण 31 मार्च 2021 को किया गया था, जिसमें 1 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2026 तक के लिए देश में महंगाई की दर अधिकतम 6 फीसदी और न्यूनतम 2 फीसदी तय किया गया था। यानि सीपीआई(उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) का लक्ष्य 4 फीसदी है। बता दें, इस समिति में 6 सदस्यीय टीम होती है।

बैठक में किस बात पर होती है चर्चा?

मौद्रिक नीति समीक्षा की बैठक का उदेश्य महंगाई के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नीतिगत रेपो रेट में बदलाव करना होता है। उसको लेकर बैठक के दौरान चर्चा की जाती है। यह बैठक साल में कम से कम चार बार करनी होती है। इसमें सभी सदस्यों का मत एक होता है। मतो की समानता की स्थिति में गवर्नर के पास निर्णायक मत होता है। बता दें, मौद्रिक नीति बैठकों की अवधि समिति द्वारा तय की जाती है। अगर समिति को लगता है कि बैठक को साल में 4 से अधिक बार करने की जरूरत है तो वह इस संबंध में अधिसूचना जारी कर देता है, जैसा पिछली बार जारी हुआ था, जिसमें कहा गया था कि 2022-23 के लिए मौद्रिक नीति समिति की बैठक 6 बार की जाएगी जो अप्रैल, जून, अगस्त, सितंबर, दिसंबर और फरवरी महीने में होगी।

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