कोरोना महामारी के बाद हवाई यात्रियों की संख्या तेजी से बढ़ी है। एयरपोर्ट पर भारी भीड़ के चलते यात्रियों को चेक इन करने में कई-कई घंटे लग रहे हैं। डीजीसीए के डेटा के अनुसार, हवाई यात्रियों की संख्या रिकाॅर्ड स्तर पर पहुंच गई है। इसके बावजूद हवाई किराया में लगातार महंगा होता जा रहा है। देश में मुंबई से दिल्ली, पटना या किसी और लोकेशन के लिए हवाई किराया कई बार 30 हजार रुपये के पार पहुंच जा रहा है। आखिर क्या वजह है कि जब यात्रियों की संख्या इतनी तेजी से बढ़ी है, इसके बावजूद हवाई किराया रिकाॅर्ड हाई पर पहुंच गया है। अगर, आपको भी यह सवाल परेशान कर रहा है तो हम आपके मन में उठ रहे तमाम सवालों के जवाब देने की कोशिश करते हैं।
1. विमान की कमी
जानकारों का कहना है कि कोविड महामरी के बाद एविएशन इंडस्ट्री विमान की कमी से जूझ रहा है। कोरोना के दौरान अधिकांश विमान गाउंडेड हो गए थे। अभी भी दुनियाभर में 16,000 विमान ग्राउंडेड हैं। भारत में भी बहुत सारे अभी भी उड़ान नहीं भर रहें हैं। वहीं कोरोना के बाद हवाई यात्रियों की संख्या तेजी से बढ़ी है। ये कारण हवाई किराया बढ़ाने का काम कर रहा है। इसके चलते हवाई किराये में 15 से 20 फीसदी का उछाल देखने को मिल रहा है।
2. घाटे की भरपाई
कोरोना महामारी के दौरान विमानन कंपनियों को करीब 2 साल तक भारी घाटा उठाना पड़ा। एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीते करीब तीन साल में विमानन कंपनियों को 200 अरब डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ। अब जब रिकाॅर्ड यात्री सफर कर रहें हैं तो वो उस घाटे की भरपाई करने में लगे हैं। इसके चलते दुनियाभर की विमाान कंपनियां ज्यादा किराया वसूल रही है।
3. स्टाॅफ की कमी
कोरोना महामारी के बाद विमानन कंपनियां स्टाॅफ की कमी से जूझ रहीं हैं। इसकी वजह है कि कोरोना के दौरान बहुत सारे विमान कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गयाथा। उसके बाद बहुत सारे ने दूसरे सेक्टर में नौकरी कर ली। इसके चलते अब हवाई-अड्डे के चेक-इन डेस्क, इमिग्रेशन काउंटर और बैगेज कैरोसेल में स्टाॅफ की कमी देखने मिल रही है। अब एयरलाइनों को कर्मचारियों को आकर्षित करने और हायर करने के लिए ज्यादा रकम खर्च करना पड़ रहा है। इससे एयरलाइंस कंपनियों पर बोझ बढ़ा है। वह इसकी भरपाई ज्यादा टिकट के दाम लेकर कर रहे हैं।
4. महंगा ईंधन
विमान में इस्तेमाल होने वाले एटीएफ की कीमत में 2019 से लेकर अब तक करीब 50 फीसदी का उछाल आया है। आपको बता दें कि किसी भी हवाई जहाज के उड़ान में उसकी की कुल लागत में करीब 40 फीसदी हिस्सा फ्यूल का होता है। एटीएफ की कीमतें में बड़ा उछाल आने से विमानन कंपनियों का परिचालन लागत तेजी से बढ़ी है। एटीएफ पर 11 फीसदी एक्साइज ड्यूटी है। राज्य सरकार भी 30 फीसदी तक वैट लगाते हैं। ईंधन का बढ़े बोझ की भरपाई करने के लिए कंपनियां महंगा किराया वसूल रही है।