टेस्ला, स्पेसएक्स और एक्स के मालिक एलन मस्क (Elon Musk) इस महीने के आखिर में भारत आने वाले हैं। इस दौरान वे भारत में अपनी निवेश योजनाओं की घोषणा करेंगे। मस्क पीएम मोदी (PM Modi) से भी मुलाकात करेंगे। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, मस्क भारत में अपनी इलेक्ट्रिक कार टेस्ला का प्लांट (Tesla Factory in India) खोलना चाहते हैं। लेकिन मस्क का यह प्लान चीन (China) को पसंद नहीं आया है। मस्क ने भारत सरकार के साथ लंबे समय से बातचीत की है। वे कम सीमा शुल्क पर भारत में कारों का आयात करना चाहते थे, जबकि भारत सरकार चाहती थी कि वे भारत में ही अपनी कारों का निर्माण करें।
नई ईवी पॉलिसी से बनी बात
पिछले महीने सरकार द्वारा घोषित अपनी नई ईवी पॉलिसी के बाद एलन मस्क टेस्ला की भारत में एंट्री की घोषणा कर सकते हैं। सरकार न्यूनतम $35,000 (₹29.2 लाख) की लागत, बीमा और माल ढुलाई मूल्य वाली पूरी तरह से निर्मित इलेक्ट्रिक कारों के आयात की अनुमति देगी, जिस पर लोकल मैन्युफैक्चरिंग शुरू करने के लिए न्यूनतम 500 मिलियन डॉलर के निवेश के बदले पांच साल में 15% आयात शुल्क लगेगा। भारत पूरी तरह से निर्मित कारों पर 100% तक का आयात शुल्क लगाता है।
चीन को लगी मिर्ची
लेकिन चीन को टेस्ला की भारत में संभावित एंट्री पसंद नहीं आ रही है। चीनी सरकार के मुखपत्र माने जाने वाले ग्लोबल टाइम्स ने भारत के टेस्ला को आमंत्रित करने के महत्वाकांक्षी कदम पर यह भविष्यवाणी करके रोक लगा दी है कि यह काम नहीं करेगा, क्योंकि यह बहुत जल्दबाजी में लिए गए फैसले जैसा लगता है, जो कि बहुत कम तैयार और अपरिपक्व भारतीय बाजार के लिए उपयुक्त नहीं है। यह निराशाजनक टिप्पणी इस बात को नजरअंदाज करती है कि कई बड़े चीनी ईवी मैन्युफैक्चरर्स ने पहले भारत में ईवी बनाने में रुचि दिखाई थी, लेकिन भारत सरकार ने उन्हें अनुमति नहीं दी थी। सीमा विवादों के कारण भारत-चीन संबंध खराब हो गए हैं, जिन्हें लेकर पहले झड़पें भी हो चुकी हैं। भारत ने चीनी निवेश की गहन जांच की है और कई चीनी बिजनेसेस की गलत कार्यों के लिए जांच की है।
टेस्ला भारत में नहीं होगी सक्सेस : ग्लोबल टाइम्स
ग्लोबल टाइम्स का कहना था टेस्ला भारत में सक्सेसफुल नहीं होगी। उसने लिखा, "टेस्ला मुख्य रूप से मिड एंड हाई एंड सेक्टर्स और मैच्योर मार्केट्स पर फोकस करता है। किसी को नहीं पता कि वह भारत में सफल होगा या नहीं। हालांकि, भारत का ईवी मार्केट बढ़ रहा है, लेकिन इसका आकार छोटा है। कुछ आंकड़ों से पता चलता है कि 2023 में भारत में बिकने वाले कुल यात्री वाहनों में ईवी का सिर्फ 2.3 फीसदी हिस्सा था।" लेख में सवाल किया गया कि क्या भारत का अपरिपक्व बाजार पर्याप्त टेस्ला कारों को पचा सकता है और उन्हें मुनाफा कमाने दे सकता है। इसमें सप्लाई चेन को एक और चुनौती के रूप में बताया गया। ग्लोबल टाइम्स ने कहा, "ईवी के लिए लिथियम-आयन बैटरी जैसे प्रमुख घटकों के सीमित घरेलू उत्पादन सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। भारत ईवी सप्लाई चेन बनाने के प्रयास में अपेक्षाकृत देर से शुरू कर रहा है।"
अंगूर खट्टे हैं...
लेख में भारत को "यथार्थवादी" दृष्टिकोण अपनाने की सलाह दी गई। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, "इस प्रक्रिया में यह सलाह दी जाती है कि भारत पड़ोसी देशों के साथ सहयोग को मजबूत करने और अधिक व्यावहारिक रवैये के साथ विनिर्माण विकास को बढ़ावा देने पर विचार करे।" इस तरह ग्लोबल टाइम्स चाहता है कि भारत टेस्ला के बजाय चीनी कंपनियों द्वारा ईवी का निर्माण करे। ग्लोबल टाइम्स ने अपने लेख में जो चुनौतियां गिनाई वे टेस्ला के कारोबार को खतरे में डालने वाली चीजें नहीं हैं। वास्तव में चीनी तर्क 'अंगूर खट्टे हैं' का एक सटीक उदाहरण है। क्योंकि कई चीनी ईवी कंपनियों ने भारत में प्लांट लगाने का प्रयास किया, लेकिन भारत सरकार ने अनुमति नहीं दी।