अमेरिका-भारत सामरिक एवं साझेदारी मंच (USISPF) के अध्यक्ष मुकेश अघी ने कहा कि अमेरिका में आगामी ट्रंप प्रशासन का दबाव कम करने के लिए चीन अब भारत के साथ संबंधों को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहा है। अमेरिका में हाल ही में संपन्न हुए राष्ट्रपति पद के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प ने जीत दर्ज की है और वह जनवरी में देश की बागडोर संभालेंगे। ट्रम्प ने राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान चीन से माल पर 60 प्रतिशत शुल्क और हर दूसरे अमेरिकी आयात पर 20 प्रतिशत तक के शुल्क का प्रस्ताव रखा था।
ट्रंप की जीत का भारत-चीन संबंधों पर सकारात्मक प्रभाव
अघी ने आगे कहा, ‘‘इसलिए हम ट्रम्प प्रशासन के आने का प्रारंभिक प्रभाव देख रहे हैं, जिसने चीन पर भारत के साथ व्यवहार को आसान बनाने का दबाव बनाया है। इसीलिए सीमा पर गश्त पर सहमति बनी है। सीधी फ्लाइट्स पर सहमति बनी है।’’ अघी ने कहा, ‘‘ वे भारत आने वाले चीन के लोगों के लिए अधिक वीजा भी जारी करेंगे। आप देख रहे हैं कि ट्रम्प की जीत का भारत-चीन संबंधों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।’’ भारत ने पिछले महीने घोषणा की थी कि उसने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त को लेकर चीन के साथ समझौता कर लिया है, जिससे चार साल से अधिक समय से जारी सैन्य गतिरोध समाप्त हो गया। अघी ने कहा, ‘‘ चीन की ओर से यह अनुमान लगाया जा रहा था कि ट्रम्प आ रहे हैं। अमेरिका के साथ रिश्ते तनावपूर्ण हो जाएंगे। इसलिए कई मोर्चों पर तनाव क्यों रखें। कम से कम भारत के साथ साझेदारी या संभावित रिश्ते को आसान बनाया जाए।’’
चीन के साथ तेज हो सकता है ट्रेड वॉर
उन्होंने कहा कि अमेरिका में नया प्रशासन मैन्यूफैक्चरिंग को चीन से दूर ले जाने और अमेरिका में ही रोजगार सृजन की योजना बना रहा है। इस बीच, समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस (एपी) की एक खबर के अनुसार, अमेरिका में कांग्रेस की एक समिति ने सिफारिश की है कि चीन के साथ अपने व्यापार संबंधों को अमेरिका कड़ा करे और लगभग 25 साल पुराने उस फैसले को वापस लेने पर जोर दे जिसने चीन की तीव्र आर्थिक वृद्धि में मदद की थी और जिसे अब अमेरिका में कई लोग अमेरिकी हितों को नुकसान पहुंचाने वाला मानते हैं। ‘अमेरिका-चीन आर्थिक तथा सुरक्षा समीक्षा आयोग’ ने मंगलवार को कांग्रेस को भेजी अपनी नौ पन्नों की वार्षिक रिपोर्ट में पहली बार चीन के साथ स्थायी सामान्य व्यापार संबंधों को समाप्त करने का आह्वान किया। यह कदम ट्रम्प और कई प्रमुख रिपब्लिकन सांसदों की विचारधारा के अनुरूप है क्योंकि आने वाले प्रशासन के तहत चीन के साथ व्यापार युद्ध के तेज होने के आसार हैं।