CBI ने शुक्रवार को ICICI बैंक की पूर्व एमडी और सीईओ रही चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को 2012 में वीडियोकॉन ग्रुप को बैंक द्वारा दिए गए लोन में कथित धोखाधड़ी और अनियमितताओं के सिलसिले में गिरफ्तार किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ICICI बैंक ने वीडियोकॉन ग्रुप को 3,250 करोड़ रुपये का लोन दिया था, जिसमें से 86 फीसदी रकम (करीब 2810 करोड़ रुपये) नहीं चुकाई गई थी। 2017 में इस लोन को NPA में डाल दिया गया।
कौन हैं चंदा गोचर?
चंदा कोचर महज 22 साल की थीं, जब उन्होंने 1984 में आईसीआईसीआई बैंक में मैनेजमेंट ट्रेनी के तौर पर काम शुरू किया। 47 साल की उम्र तक वह सीईओ बन गई थी। कोचर किसी भारतीय बैंक की प्रमुख बनने वाली पहली महिला है। चंदा ने अपने कार्यकाल में कई अलग-अलग कंपनियों को लोन दिए थे।
एक दिन की सैलरी थी लाखों में
चंदा कोचर को बैंकिग क्षेत्र में शानदार योगदान देने के लिए कई सारे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें पद्मश्री और पद्मभूषण से भी नवाजा जा चुका है। उनकी एक दिन की सैलरी करीब 2 लाख रुपये हुआ करती थी। वह अपने कार्यकाल के दौरान सबसे शक्तिशाली बैंकिग सेक्टर की महिलाओं में गिनी जाती थी। फोर्ब्स मैगजिन ने भी उन्हें दुनिया के 100 शक्तिशाली महिलाओं की लिस्ट में शामिल किया था।
FIR में बतौर आरोपी दर्ज थे कोचर दंपति और धूत के नाम
अधिकारियों ने बताया कि CBI ने चंदा कोचर, उनके पति और वीडियोकॉन समूह के वेणुगोपाल धूत के साथ-साथ नूपावर रिन्यूएबल्स, सुप्रीम एनर्जी, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम से संबंधित IPC की धाराओं के तहत दर्ज FIR में आरोपी के रूप में दर्ज किया था। चंदा कोचर पर मार्च 2018 में अपने पति को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए अपने पद के दुरुपयोग का भी आरोप लगा था। आरोपों के बाद चंदा ने अक्टूबर 2018 में ICICI बैंक के CEO और MD के पद से इस्तीफा दे दिया था।
धूत ने ICICI बैंक से मिले कर्ज का नूपावर में किया था निवेश
अधिकारियों ने बताया कि ऐसा आरोप है कि वीडियोकॉन के प्रवर्तक वेणुगोपाल धूत ने 2012 में ICICI बैंक से वीडियोकॉन ग्रुप को 3,250 करोड़ रुपये का कर्ज मिलने के बाद कथित तौर पर नूपावर में करोड़ों रुपये का निवेश किया। CBI ने 2019 में FIR दर्ज करने के बाद एक बयान में कहा था कि यह आरोप लगाया गया था कि आरोपियों ने ICICI बैंक को धोखा देने के लिए आपराधिक साजिश में निजी कंपनियों को कुछ ऋण मंजूर किए थे। बता दें कि मई 2020 में ED ने चंदा कोचर और उनके पति से करोड़ों रुपये के लोन और इससे जुड़े अन्य मामलों में पूछताछ की थी। पूछताछ के बाद ED ने दीपक कोचर को गिरफ्तार किया था। बता दें, 26 अगस्त 2009 को चंदा कोचर के कहने पर बैंक ने 300 करोड़ रुपये वीआईईएल का ऋण स्वीकृत किया गया था।
बंबई हाईकोर्ट आवेदन को कर चुका है खारिज
बंबई हाईकोर्ट ने गुरुवार को चंदा कोचर के उस आवेदन को खारिज कर दिया था, जिसमें अक्टूबर 2018 में आईसीआईसीआई बैंक के सीईओ के रूप में उनकी प्रारंभिक सेवानिवृत्ति से पहले कथित रूप से अनुबंधित दायित्वों का वादा किया गया था। उच्च न्यायालय ने यह भी फैसला सुनाया कि आईसीआईसीआई बैंक द्वारा कोचर की पूर्वव्यापी समाप्ति प्रथम दृष्टया 'वैध' है। अदालत ने आईसीआईसीआई बैंक द्वारा दायर उस आवेदन को भी स्वीकार कर लिया, जिसने अपने पूर्व मुख्य कार्यकारी कोचर को ऋणदाता के 690,000 शेयरों में सौदा करने से रोक दिया था, जो उसने अक्टूबर और दिसंबर 2018 के बीच स्टॉक विकल्पों के माध्यम से हासिल किए थे।