Highlights
- निर्यात पर रोक के 13 मई के आदेश के बाद 16 लाख टन गेहूं का निर्यात
- स-यूक्रेन युद्ध की वजह से वैश्विक बाजारों में गेहूं की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित
- वैश्विक स्तर पर गेहूं की आपूर्ति में रूस-यूक्रेन का हिस्सा करीब 25 प्रतिशत का है
Wheat Export Ban: वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाले विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने निर्यात पर रोक के 13 मई के आदेश के बाद 16 लाख टन गेहूं के निर्यात के लिए पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी किए हैं। एक अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि जिन निर्यातकों के पास रोक के आदेश से पहले की तारीख के वैध साख पत्र थे, उन्हें गेहूं के निर्यात की अनुमति दी गई है।
सरकार उन निर्यातकों को गेहूं निर्यात की अनुमति दे रही है जिनके पास 13 मई से पहले के एल/सी हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से वैश्विक बाजारों में गेहूं की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई है। दोनों ही देश गेहूं के बड़े उत्पादकों में हैं। वैश्विक स्तर पर गेहूं की आपूर्ति में रूस-यूक्रेन का हिस्सा करीब 25 प्रतिशत का है।
ऐसे निर्यातक जिनके पास वैध एल/सी है उन्हें अपनी खेप के निर्यात के लिए अनुबंध पंजीकरण (आरसी) हासिल करने के लिए डीजीएफटी के क्षेत्रीय अधिकारियों के पास पंजीकरण कराना होता है। अधिकारी ने बताया कि अबतक करीब 16 लाख टन गेहूं निर्यात के लिए आरसी जारी किया गया है।
अधिकारी ने कहा कि रूस ने तुर्की के रास्ते गेहूं का निर्यात शुरू कर दिया है। इससे वैश्विक बाजारों में इसकी कीमतों में स्थिरता आने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2021-22 में मूल्य के हिसाब से भारत का गेहूं निर्यात 2.05 अरब डॉलर का रहा था। बीते वित्त वर्ष में भारत के कुल निर्यात में बांग्लादेश की हिस्सेदारी करीब 50 प्रतिशत थी।
बीते वित्त वर्ष में भारत से गेहूं खरीदने वाले शीर्ष 10 देशों में बांग्लादेश, नेपाल, संयुक्त अरब अमीरात, श्रीलंका, यमन, अफगानिस्तान, कतर, इंडोनेशिया, ओमान और मलेशिया शामिल हैं। भारत गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। लेकिन वैश्विक गेहूं निर्यात में भारत की हिस्सेदारी एक प्रतिशत से भी कम है।
2020 में दुनिया में गेहूं के कुल उत्पादन में भारत का हिस्सा 14 प्रतिशत रहा था। भारत सालाना करीब 10.75 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन करता है।