Budget 2023: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को बजट 2023-24 के जरिए पूरे साल की कमाई और खर्च का लेखा-जोखा संसद से देश के सामने रखने जा रही हैं। हर बार बजट में सरकार देश के हर नागरिक के लिए कुछ न कुछ जोड़ने की कोशिश करती है। इसे लेकर सभी तैयारियां भी लगभग पूरी हो चुकी हैं। ऐसे में आपको इससे संबंधित कुछ चीजों के बारे में जरूर पता होना चाहिए ताकि बजट को आसानी से समझा जा सके। इसमें सबसे जरूरी आम बजट (Union Budget) और अंतरिम बजट (Interim Budget) के अंतर को समझना है। आइए आसान भाषा में समझते हैं…
अंतरिम बजट क्या है और कब पेश किया जाता है?
अंतरिम बजट अनुच्छेद 116 के तहत पेश किया जाता है। ये 'पूर्ण' बजट नहीं होता है और इसे किसी भी सरकार में कार्यकाल के आखिरी साल के वक्त पेश किया जाता है जो कुछ ही महीनों के लिए होता है। इसमें आमतौर पर सरकार नीतिगत फैसले नहीं लेती है। साथ ही किसी भी तरह का कोई नया टैक्स भी नहीं लगाती है। अनुच्छेद 116 के तहत, सरकार के लिए जरूरी होता है कि नई सरकार के आने तक वो सरकारी खर्चों को चलाने का पूरा इंतजाम करे, इसलिए ये बजट पेश किया जाता है। यह आम बजट से अलग माना जाता है और इसकी कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है। भारत के संविधान में इसका कोई जिक्र नहीं है। सरकार चाहे तो साल में दो बार भी बजट पेश कर सकती है।
आम बजट के बारे में भी जान लीजिए
आम बजट अनुच्छेद 112 के तहत संसद में पेश किया जाता है। ये पूर्ण बजट होता है जिसमें सरकार पूरे साल भर का वित्तीय लेखा-जोखा संसद से देश के सामने रखती है। संविधान के अनुसार, हर फाइनेंशियल ईयर की शुरुआत से पहले संसद में केंद्रीय बजट पेश करना जरूरी होता है। इस बजट को पेश का सीधा सा मकसद राजकोषीय घाटे को कम करना, आम जनता को राहत देना और महंगाई को नियंत्रित करना होता है।
वोट ऑन अकाउंट भी है थोड़ा अलग
आप में कुछ लोगों ने आम बजट और अंतरिम बजट के अलावा लेखानुदान या वोट ऑन अकाउंट के बारे में भी पढ़ा या सुना होगा। लेकिन बहुत कम लोग ही इसका मतलब जानते हैं। आपको बता दें कि ये दोनों टर्म बजट से ही रिलेटेड हैं। जब केंद्र सरकार को कुछ ही महीनों के लिए संसद से जरूरी खर्च के लिए मंजूरी लेनी होती है, तो उस वक्त वोट ऑन अकाउंट पेश किया जाता है। इसे पेश करने का तरीका अंतरिम बजट से कुछ अलग होता है और सिर्फ खर्च के लिए संसद से मंजूरी मांगी जाती है।