Deficit Budget: देश का वार्षिक बजट हम सब के बीच जल्द ही आने वाला है। इसे लेकर रूपरेखा को अंतिम अंजाम दिया जा रहा है। वहीं बजट के आने से पहले हमारे मन कई तरह के सवाल उठते रहते हैं। सवालों के जवाब हम तलाशने का भरपूर प्रयास भी करते हैं। इसलिए हम आपके साथ बजट से जुड़ी बारीकियों को एक-एक कर शेयर भी कर रहें हैं। बता दें कि बजट को कई श्रेणियों में विभाजित किया गया है, उन्हीं में से एक श्रेणी है Deficit बजट यानी घाटे का बजट और आज हम आपको उसी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देने वाले हैं, जिससे बजट को लेकर तमाम तरह के आपके संशय दूर हो सकें।
Deficit यानी घाटा बजट क्या है?
बजट घाटा तब माना जाता है, जब व्यय आय से अधिक हो जाता है। अगर इसे आसान शब्दों में समझें तो इनकम से ज्यादा खर्च होना। वहीं वित्तीय भाषा में कहें तो जब खर्च राजस्व से अधिक हो जाता है तब बजट घाटा होता है। यह बजट किसी भी देश के वित्तीय स्वास्थ्य को दर्शाता है। दूसरी ओर सरकार बजट घाटा शब्द का प्रयोग तब करती है, जब व्यवसायों या व्यक्तियों के बजाय खर्च करने का उल्लेख कर रही हो और ऐसे ही बजट घाटे की पहचान होती है।
बजट घाटा होने के बाद की स्थिति क्या होती है?
आमतौर पर जब बजट घाटे की पहचान हो जाती है, तो वर्तमान व्यय आय राशि से उस समय अधिक होता है। वहीं जो देश अपने बजट घाटे के प्रभाव को कम करने की कोशिश करते हैं, तो वह अपने व्यय को कम करने की कोशिश, राजस्व बढ़ाने की कोशिश आदि का प्रयास करते हैं। दोनों मोर्चो पर बेहतरी से काम करने की जरूरत होती है, क्योंकि कुछ अप्रत्याशित घटनाओं और नीतियों के चलते भी बजट घाटा उत्पन्न हो सकता है। वहीं कोई भी देश करों को बढ़ाकर और व्यय को कम करके बजट घाटा का बेहतरी से मुकाबला कर सकता है।
बजट घाटा के मुख्य खतरे क्या हो सकते हैं?
बजट घाटा का मुख्य खतरा महंगाई दर का बढ़ना है, जो कीमतों के स्तरों में वृद्धि से बढ़ती है। वहीं बजट घाटा देश में केंद्रीय बैंक को अर्थव्यवस्था में अधिक धन जारी करने के लिये बाध्य कर सकता है, जिससे महंगाई दर और भी बढ़ती है। अगर बजट घाटा निरंतर बना रहा तो देश को महंगाई दर से संबंधित मौद्रिक नीतियां बनाना बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है।