Turkey Government Earthquake Tax: सोमवार को तुर्की में आए भूकंप ने भारी तबाही मचाई है। इस आपदा में 15 हजार से अधिक लोगों की जान चली गई है और हजारों लोग अभी भी मलबे के नीचे दबे हुए हैं। इन दबे हुए लोगों को निकालने के लिए युद्ध स्तर पर बचाव अभियान चलाया जा रहा है। इस बीच वहां भूकंप टैक्स को लेकर चर्चा शुरु हो गई है। दरअसल 1999 से वहां की सरकार आम जनता से भूंकप से होने वाली नुकसान से बचाने के लिए वसूल रही है। फिलहाल इसकी राशि 88 अरब लीरा(4.6 अरब डॉलर) बताई जा रही है। बता दें, लीरा तुर्की की करेंसी है। इस समय वहां अर्दोगन की सरकार है।
क्या होता है भूकंप टैक्स?
तुर्की में भूकंप टैक्स की शुरुआत 1999 में की गई थी, जब वहां 7.4 तीव्रता के भूंकप के झटके के चलते 17 हजार से अधिक लोगों की जान चली गई थी। उसके बाद से वहां की सरकार ने भूकंप से हुए नुकसान की भरपाई के लिए आम जनता से एक टैक्स वसूलना शुरु कर दिया था। वहां की भाषा में इस टैक्स को बाध्यकारी लेवी कहा जाता है। आम बोल चाल की भाषा में भूकंप टैक्स और अधिकारिक तौर पर स्पेशल कम्युनिकेशन टैक्स कहते हैं। बता दें कि इस टैक्स के जरिए जुटाए गए पैसे किसी विशेष फंड में जमा नहीं किए जाते हैं, बल्कि रेगुलर राजस्व में डाल दिया जाता है। दरअसल तुर्की उन देशों में गिना जाता है जहां पुरानी बिल्डिंग काफी अधिक है। कोई 100 साल पुरानी तो कोई उससे भी पहले की बनाई गई है। सरकार का इस टैक्स को वसूलने का मकसद उसके रखरखाव और उसे और मजबूत बनाना था, लेकिन वहां के लोगों के आरोप के मुताबिक, सरकार ने इस कार्य पर एक भी लीरा खर्च नहीं किए। यही वजह है कि भूंकप के झटके इमारतें नहीं उठा सकी।
क्या भारत में भी है ऐसा कोई टैक्स?
भारत सरकार ऐसा कोई टैक्स नहीं वसूलती है। दरअसल तुर्की में भूकंप बार-बार आते रहते हैं, इसलिए वहां की सरकार इसे चार्ज करती है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात के भुज में जब 2001 में भूकंप आया था तब वहां की तत्कालिन मोदी सरकार द्वारा 2% का सेस वसूलने की बात कही जा रही थी। उसके बाद भारत में और भी कई भूंकप आए, लेकिन किसी भी सरकार के तरफ से ऐसा कोई टैक्स नहीं तय किया गया।