भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की इस सप्ताह होने वाली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में प्रमुख ब्याज दर रेपो में कटौती की संभावना नहीं है। विशेषज्ञों ने यह राय जताई है। उनका कहना है कि खुदरा मुद्रास्फीति अब भी चिंता का विषय बनी हुई है, तथा पश्चिम एशिया संकट के और बिगड़ने की संभावना है, जिसका असर कच्चे तेल और कमोडिटी की कीमतों पर पड़ेगा। इस महीने की शुरुआत में सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की दर-निर्धारण समिति - मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का पुनर्गठन किया। इसमें तीन नए नियुक्त बाहरी सदस्यों के साथ पुनर्गठित समिति सोमवार को अपनी पहली बैठक शुरू करेगी।
9 अक्टूबर को आएगा फैसला
एमपीसी के चेयरमैन आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास बुधवार (नौ अक्टूबर) को तीन दिन की बैठक के नतीजों की घोषणा करेंगे। भारतीय रिजर्व बैंक ने फरवरी, 2023 से रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखा है। विशेषज्ञों का मानना है कि दिसंबर में ही इसमें कुछ ढील की गुंजाइश है। सरकार ने केंद्रीय बैंक को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) पर बनी रहे। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में, विशेषज्ञों का मानना है कि आरबीआई संभवतः अमेरिकी फेडरल रिजर्व का अनुसरण नहीं करेगा, जिसने बेंचमार्क दरों में 0.5 प्रतिशत की कमी की है।
आरबीआई के रुख में बदलाव की उम्मीद कम
आरबीआई कुछ अन्य विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों का भी अनुसरण नहीं करेगा, जिन्होंने ब्याज दरों में कमी की है। बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, “हमें रेपो दर या एमपीसी के रुख में किसी बदलाव की उम्मीद नहीं है। इसका कारण यह है कि सितंबर और अक्टूबर में मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत से ऊपर रहेगी और मौजूदा कम मुद्रास्फीति आधार प्रभाव के कारण है। इसके अलावा, मुख्य मुद्रास्फीति धीरे-धीरे बढ़ रही है।” सबनवीस ने कहा कि इसके अलावा, हाल ही में ईरान-इजराइल संघर्ष और भी गहरा सकता है, और यहां अनिश्चितता है। इसलिए, नए सदस्यों के लिए भी यथास्थिति सबसे संभावित विकल्प है।
जीडीपी अनुमान में भी बदलाव की उम्मीद नहीं
मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान को 0.1-0.2 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अनुमान में किसी बदलाव की संभावना नहीं है। केंद्रीय बैंक ने पिछली बार फरवरी, 2023 में रेपो दर को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया था और तब से, उसने दर को उसी स्तर पर बनाए रखा है। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि शुरुआती पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि एमपीसी के अनुमान से कम रहने और दूसरी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति के कम रहने के अनुमान को देखते हुए हमारा मानना है कि अक्टूबर, 2024 की नीतिगत समीक्षा में रुख को बदलकर ‘तटस्थ’ करना उचित हो सकता है। उन्होंने कहा कि इसके बाद रेपो दर में दिसंबर, 2024 और फरवरी, 2025 में 0.25 प्रतिशत की कटौती हो सकती है। सिग्नेचर ग्लोबल (इंडिया) लि. के संस्थापक एवं चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि रियल एस्टेट उद्योग और डेवलपर समुदाय के साथ घर खरीदार ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन केंद्रीय बैंक संभवत: लगातार दसवीं बार ब्याज दरों को यथावत रखेगा।