Allowance & Reimbursements: आम बजट- 2023 के आने में अब कुछ ही घंटे शेष हैं और इसे 1 फरवरी, 2023 को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी। दूसरी ओर बजट पेश होने के साथ ही हमारे सामने कई तरह की टर्म्स सामने आती हैं। इन टर्म्स को समझने में हमारे पसीने छूट जाते हैं, लेकिन अब घबराने की बात नहीं है आज हम आपको बजट से ही जुड़ी अलाउंस और रीइंबर्समेंट्स जैसी टर्म्स के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देने वाले हैं, जहां अगली बार इनके सामने आने से आप इन्हें आसानी से समझ सकेंगे।
क्या होता है अलाउंस और रीइंबर्समेंट्स
बता दें कि सैलरीड लोगों को अपने एंप्लॉयर से कई तरह के अलाउंस और रीइंबर्समेंट्स मिलते हैं, जो पूरी तरह से टैक्सेबल होते हैं या इनके कुछ हिस्सों पर टैक्स लगता है। बता दें कि इनमें लगने वाला टैक्स कुछ शर्तों के अधीन होता है, इसके साथ ही इसे हम ऐसे समझ सकते हैं। दूसरे शब्दों में अलाउंस और रीइंबर्समेंट्स को परिभाषित करें तो भत्ता कर्मचारियों को दी जाने वाली वह राशि है, जिसे वह खर्च करना चाहे तो करें या फिर न करें। इसके साथ ही प्रतिपूर्ति कर्मचारियों को मिलने वाली वह राशि है, जोकि कर्मचारियों को अस्पताल में भर्ती, यात्रा आदि पर धन खर्च होने के बाद ही प्राप्त होती है।
जानें अलाउंस के प्रकार
बता दें कि जो अलाउंस किसी भी अन्य तरह के अलाउंस के दायरे में नहीं आता है, उसे स्पेशल अलाउंस कहा जाता है। इसके साथ ही कर्मचारियों को निश्चित समय से अधिक काम करने, बच्चों की पढ़ाई, हॉस्टल एक्सपेंडिचर आदि पर भी अलाउंस मिलता है। जहां स्पेशल अलाउंस, ओवरटाइम अलाउंस पर पूरी तरह से टैक्स लगता है, इसके साथ ही चिल्ड्रेन एजुकेशन अलाउंस, हॉस्टल एक्सपेंडिचर अलाउंस पर टैक्स की छूट मिलती है।
क्या होता है मेडिकल रीइंबर्समेंट्स
इसके तहत कर्मचारी खुद, पुत्र, पुत्री, पत्नी आदि के इलाज में सालाना 15000 रुपये तक की राशि पर टैक्स में छूट पा सकता है। इसके साथ ही कर्मचारी की ओर से जमा राशि या रिइम्बर्स की गयी कोई मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम की राशि पर कोई टैक्स नहीं लगता है।