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अब वंदे भारत ट्रेन में भी होगी स्लीपर कोच की व्यवस्था, इसके लिए भारतीय रेलवे ने बनाया धांसू प्लान

Vande Bharat Train: वंदे भारत ट्रेन को इंडियन रेलवे द्वारा चलाई जाने वाली सबसे स्पेशल ट्रेनों की लिस्ट में गिना जाता है। इसमें बैठकर यात्रा करने की सुविधा होती है। यह किसी भी दूसरी ट्रेन से तेज गति से सफर करती है। अब एक मास्टर प्लान के जरिए इसमें सो कर भी सफर करने की व्यवस्था की जा रही है।

Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Updated on: March 02, 2023 8:05 IST
Vande Bharat Train Sleeper Coach- India TV Paisa
Photo:FILE अब वंदे भारत ट्रेन में होगी भी स्लीपर कोच की व्यवस्था

Vande Bharat Train Sleeper Coach: वंदे भारत ट्रेन भारत सरकार की खास परियोजना का हिस्सा है, जिसके तहत वह देश के हर कोने को एक तेज ट्रेवलिंग स्पीड मुहैया कराने पर काम कर रही है। हाल ही में पीएम मोदी ने मुंबई में वंदे भारत की नई ट्रेन का उद्घाटन किया था। अब तक वंदे भारत ट्रेनों में बैठकर यात्रा करने की सुविधा होती थी, लेकिन सरकार स्लीपर कोच वाले कुछ ट्रेन को बनाने के लिए एक टेंडर देने की शुरुआत की है, जिसमें सबसे कम कीमत पर एक रूसी कंपनी ने बोली लगाई है। रूसी-भारतीय कंसोर्टियम ट्रांसमाशहोल्डिंग (टीएमएच)-रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) ने 200 वंदे भारत एल्युमीनियम स्लीपर ट्रेनों को चलाने के लिए सबसे कम बोली लगाई है। अगली सबसे कम बोली लगाने वाला भेल-टीटागढ़ वैगन का कंसोर्टियम है। बता दें, भारतीय रेलवे ने 200 वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों को चलाने के लिए बोलियां आमंत्रित की थीं।

ये है नियम

निविदा शर्तों के अनुसार, दूसरा सबसे कम बोली लगाने वाले द्वारा उद्धृत मूल्य पर 80 ट्रेनें बना सकता है। यह पता चला है कि टीएमएच-आरवीएनएल लातूर संयंत्र में ट्रेन सेट तैयार करेगा। आरवीएनएल के संचालन निदेशक राजेश प्रसाद ने विश्लेषक बैठक में कहा था कि कंपनी ने ट्रेनसेट के लिए बोली लगाई थी और अनुमानित लागत लगभग 55,000 करोड़ रुपये से अधिक है। हालांकि, विजेता बोली लगाने वालों को लेकर चिंता जताई जा रही है। इंटीग्रल कोच फैक्ट्री के सेवानिवृत्त महाप्रबंधक और वंदे भारत ट्रेन के जनक सुधांशु मणि ने बताया कि 200 वंदे भारत ट्रेनों के लिए सबसे कम वित्तीय बोली लगाने वाले के रूप में रूस के ट्रानमाशहोल्डिंग (टीएमएच आरवीएनएल) का उदय और दूसरी सबसे कम बोली लगाने वाले के रूप में बीएचईएल और टीटागढ़ वैगन्स का कंसोर्टियम वंदे भारत ट्रेनों के समय पर उत्पादन के लिए एक चुनौती पेश करता है।

होगी बड़ी चुनौती

इन ट्रेनों को समय पर पहुंचाना उनके लिए आसान काम नहीं होगा। यह देखना भी दिलचस्प होगा कि क्या बीएचईएल टीटागढ़ आईसीएफ में 80 ट्रेनों के लिए इस एल1 मूल्य को स्वीकार करता है। यह निश्चित रूप से एल्सटॉम, सीमेंस और स्टैडलर जैसे सक्षम निमार्ताओं के लिए एक निराशा है और इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए कुछ अनिश्चितता है।

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