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उत्तर प्रदेश के नाम जल्द एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ेगी, विदेशी मुद्रा बचत कराने में भी बनेगा मददगार

रिकॉर्ड बताते हैं कि यूपी में इथेनॉल का उत्पादन 2022-23 में 134 करोड़ लीटर तक पहुंच गया, जो देश में सबसे ज्यादा था। 2023-24 में इसके 160 करोड़ लीटर तक जाने की उम्मीद है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: June 12, 2023 18:31 IST
 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ- India TV Paisa
Photo:PTI मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश के नाम जल्द एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ने वाली है। दरअसल, चालू वित्त वर्ष 2023-24 में लगभग 100 ऑपरेशनल डिस्टिलरी के साथ उत्तर प्रदेश देश में सबसे बड़े इथेनॉल उत्पादक राज्य बनने के लिए तैयार है। गन्ना और आबकारी के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी ने कहा कि वर्तमान में यूपी में 85 डिस्टिलरी ऑपरेशनल स्टेज पर हैं। अगले कुछ महीनों में अन्य 15 डिस्टिलरीज चालू होने वाली हैं। 100 डिस्टिलरीज गन्ना आधारित और दोहरी मोड (गन्ने के साथ-साथ अनाज पर आधारित) दोनों होंगी। इसके अलावा, राज्य सरकार ने अगले तीन वर्षो के भीतर राज्य में डिस्टिलरी की संख्या बढ़ाकर 140 करने का भी लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि वृद्धि मुख्य रूप से उस निवेश से प्रेरित होगी जो राज्य को वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन के दौरान प्राप्त हुआ था, जो इस साल के शुरू में आयोजित किया गया था।

देश में सबसे ज्यादा इथेनॉल का उत्पादन 

रिकॉर्ड बताते हैं कि यूपी में इथेनॉल का उत्पादन 2022-23 में 134 करोड़ लीटर तक पहुंच गया, जो देश में सबसे ज्यादा था। 2023-24 में इसके 160 करोड़ लीटर तक जाने की उम्मीद है। वास्तव में, राज्य सरकार गोरखपुर-बस्ती-आजमगढ़ खंड के बीच और दूसरा मेरठ-मुरादाबाद बेल्ट के बीच दो जगहों पर अतिरिक्त ईंधन भंडारण सुविधाओं की स्थापना के लिए जोर दे रही है। प्रोजेक्ट्स को रेल और पेट्रोलियम मंत्रालय के समन्वय से क्रियान्वित करने का प्रस्ताव है। वास्तव में, उत्तर प्रदेश लगभग 12 प्रतिशत इथेनॉल सम्मिश्रण सुनिश्चित कर रहा था। उद्योग के सूत्रों ने कहा कि एचपीसीएल जैसी तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) 11.63 प्रतिशत की मिलावट कर रही थीं। इसी समय, राज्य सरकार ने धान और गेहूं के बड़े स्टॉक को देखते हुए अनाज आधारित भट्टियों को बढ़ावा देने की योजना बनाई।

विदेशी मुद्रा बचत करने में मिलेगी मदद

जानकारों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में इथेनॉल का रिकॉर्ड उत्पादन होने से विदेशी मुद्रा की बड़ी बचत करने में मदद मिलेगी। ऐसा इसलिए कि इथेनॉल का उत्पादन बढ़ने से कच्चे तेल का आयात कम करना होगा। भारत अपनी जरूरत का करीब 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है। इस पर भारी विदेशी मुद्रा खर्च करना पड़ता है। कच्चे तेल का आयात कम होने से विदेशी मुद्रा बचत करने में मदद मिलेगी। 

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