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संकट में अमेरिका! बैंकों में भूचाल के बीच फेड ने फिर बढ़ाईं दरें, जिद्दी महंगाई के सामने महाशक्ति ने टेके घुटने

यूएस फेड के इस निर्णय के बाद भारतीय रिजर्व बैंक पर भी ब्याज दरें बढ़ाने का दबाव बन गया है। इसके साथ ही भारतीय शेयर बाजार से एफआईआई की निकासी में भी बढ़ोत्तरी होने की संभावना है।

Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: March 23, 2023 8:36 IST
US Federal Reserve- India TV Paisa
Photo:FILE US in Crisis

दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति अमेरिका की इकोनॉमी खतरे में दिखाई दे रही है। जिद्दी हो चुकी महंगाई के सामने यूएस फेडरल रिजर्व घुटने टेकता नजर आ रहा है। अमेरिका के बैंकिंग सेक्टर में आए भूचाल के बावजूद अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने महंगाई को बड़ा खतरा माना है और एक बार फिर ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी कर दी है। इस बार राहत की उम्मीद कर रहे बाजार को भी यह घोषणा रास नहीं आई और बुधवार के दिन अमेरिका के सभी बाजारों में तीखी गिरावट देखने को मिली है। 

0.25 प्रतिशत बढ़ी ब्याज दरें

अमेरिकी रिजर्व बैंक पिछले साल अप्रैल से ब्याज दरों में आक्रामक वृद्धि कर रहा है। रिजर्व बैंक महंगाई दर को 2 प्रतिशत के नीचे लाना चाहता है जो कि अभी 6 प्रतिशत से अधिक है। इस बीच कल रात फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट की बढ़ोत्तरी कर दी है। इससे पहले भी जनवरी में फेडरल रिजर्व ने इतनी ही बढ़ोत्तरी की थी। फेड के इस ऐलान के बाद ब्याज दर बढ़कर अब 4.75% से 5% हो गया है।

बैंकिंग संकट के बीच बढ़ी ब्याज दरें 

हाल ही में अमेरिका के दो बड़े बैंक सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक दिवालिया हो गए। इसके अलावा अमेरिका के 186 बैंकों पर संकट मंडरा रहा है। बैंकिंग सेक्टर को उम्मीद थी कि फेडरल रिजर्व इस बाद उन्हें ब्याज दरों में कटौती कर राहत दे सकता है, उनकी उम्मीद पर पानी फिर गया। बैंकिंग संकट के बावजूद अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने राहत देने के बजाए ब्याज दर में बढ़ोतरी का ऐलान किया। फेडरल ने कहा कि इस साल में एक और बार ब्याज दर बढ़ाई जा सकती है। 

भारत पर भी बढ़ा खतरा

यूएस फेड के इस निर्णय के बाद भारतीय रिजर्व बैंक पर भी ब्याज दरें बढ़ाने का दबाव बन गया है। इसके साथ ही भारतीय शेयर बाजार से एफआईआई की निकासी में भी बढ़ोत्तरी होने की संभावना है। भारतीय रुपया पहले से ही दबाव में है, और 83 के स्तर को तोड़ने को बेताब दिख रहा है। फेड के निर्णय से यूएस डॉलर को मजबूती मिलेगी, इससे भारत सहित कई विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को इसकी तपिश महसूस होगी। 

अमेरिकी बाजारों में बड़ी गिरावट 

यूएस फेड के निर्णय के सामने आते ही शेयर बाजार के निवेशकों की धारणा कमजोर हो गई और भयंकर बिकवाली के चलते अमेरिका के सभी इंडेक्स औंधे मुंह गिर गए। कारोबार के दौरान एसएंडपी 500 0.4% तक लुढ़क गया। वहीं डॉओ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज दोपहर 3:06 बजे तक 181 अंक या 0.6% की गिरावट के साथ 32,378 पर था। वहीं नैस्डैक कंपोजिट 0.2% के नुकसान पर कारोबार कर रहा था। 

आगे भी रुलाएगी महंगाई 

अब बड़ा सवाल यह है कि फेड आगे कब तक ब्याज दरें बढ़ाता रहेगा। फेडरल रिजर्व ने कहा कि उनका दायित्व महंगाई पर नियंत्रण पाना है। ब्याज दर में बढ़ोतरी कर रहे हैं ताकि महंगाई पर काबू पा सके। फेडरल रिजर्व ने कहा कि महंगाई रोकना उनका मुख्य फोकस है। उन्होंने कहा कि इस साल एक बार फिर से ब्याज में बढ़ोतरी हो सकती है। अमेरिकी फेडरल की ओर से ब्याज दर में बढ़ोतरी से बॉन्ड यील्ड बढ़ना शुरू हो जाता है। जिससे बैंकों को बॉन्ड निवेश को नुकसान होता है।

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