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एयर इंडिया की नई कमरा साझा नीति पर बवाल, श्रम मंत्रालय से हस्तक्षेप करने की मांग की गई

इसके तहत एक दिसंबर से रात भर ठहरने के दौरान कमरे साझा करने के लिए बाध्य किया जाएगा।’ इसमें कहा गया, ‘बिना किसी पूर्वाग्रह के हमें सबसे पहले इसका विरोध करना चाहिए और इस क्रूर कदम के प्रति अपना विरोध दर्ज कराना चाहिए।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Oct 28, 2024 14:33 IST, Updated : Oct 28, 2024 14:33 IST
Air India
Photo:PTI एयर इंडिया

ऑल इंडिया केबिन क्रू एसोसिएशन (AICCA) ने टाटा समूह के स्वामित्व वाली एयर इंडिया की, चालक दल के सदस्यों के एक वर्ग के लिए कमरे साझा करने की नीति को ‘‘ अवैध व गैर-कानूनी ’’ करार दिया है। एआईसीसीए ने श्रम मंत्रालय से मामले में हस्तक्षेप का अनुरोध करते हुए इस कदम को रोकने का आग्रह किया है। एसोसिएशन होटल में ठहराने तथा आवास की शर्तों की मांग कर रहा है, जो पिछले समझौतों तथा न्यायाधिकरण के निर्णयों के अनुसार पायलट के लिए आवास नीति के अनुरूप हो। एसोसिएशन ने एयर इंडिया के प्रमुख कैम्पबेल विल्सन को भी पत्र लिखकर उनसे आग्रह किया है कि वे मौजूदा यथास्थिति का उल्लंघन न करें तथा औद्योगिक न्यायाधिकरण की पवित्रता तथा इस मुद्दे पर लंबित औद्योगिक विवाद को ध्यान में रखे। 

सेवा शर्तों में एकतरफा बदलाव करने का प्रस्ताव

गौरतलब है कि एक दिसंबर से प्रभावी नई नीति के तहत विस्तारा के साथ 11 नवंबर को होने वाले विलय से पहले चालक दल के अधिकारियों और अल्ट्रा-लॉन्ग-हॉल उड़ानों का संचालन करने वालों को छोड़कर, सदस्यों को ठहरने के लिए कमरे साझा करने होंगे। ‘ऑल इंडिया केबिन क्रू’ एसोसिएशन 50 वर्ष पुराना पंजीकृत व्यापार संघ है, जिससे समूचे भारत की भारतीय तथा विदेशी एयरलाइन के चालक दल के सदस्य जुड़े हैं। एसोसिएशन ने मुख्य श्रम आयुक्त (सीएलसी) नयी दिल्ली को भेजे नोटिस में कहा, ‘‘हमारा ध्यान एयर इंडिया द्वारा अपने बुलेटिन बोर्ड पर जारी किए गए नोटिस की ओर आकर्षित किया गया है, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ राष्ट्रीय औद्योगिक न्यायाधिकरण के लंबित रहने तथा इसी मामले में एक औद्योगिक विवाद के दौरान चालक दल के सदस्यों की सेवा शर्तों में एकतरफा बदलाव करने का प्रस्ताव है। 

कमरे साझा करने के लिए बाध्य किया जाएगा

इसके तहत उन्हें एक दिसंबर से रात भर ठहरने के दौरान कमरे साझा करने के लिए बाध्य किया जाएगा।’ इसमें कहा गया, ‘बिना किसी पूर्वाग्रह के हमें सबसे पहले इसका विरोध करना चाहिए और इस क्रूर कदम के प्रति अपना विरोध दर्ज कराना चाहिए। यह कहना चाहिए कि यह एक अवैध कदम है तथा आईईएसओ (औद्योगिक कर्मचारी स्थायी आदेश अधिनियम) के तहत सेवा की शर्तों में बदलाव है।’ एसोसिएशन ने कहा कि एआईसीसीए ने इस मामले पर एयर इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) को पहले ही पत्र लिखा है। साथ ही सीएलसी से तत्काल सहायता का अनुरोध किया है ताकि ’’ इस अवैध कार्रवाई पर रोक लगाई जा सके, तथा इसी मामले पर कार्यवाही लंबित रहने तक धारा 33 के तहत कार्यवाही शुरू की जा सके।’ एयर इंडिया ने इस मामले पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। एसोसिएशन के अनुसार, 2018 में तत्कालीन एयर इंडिया प्रबंधन तथा नागरिक विमानन मंत्रालय द्वारा इसी तरह का कदम उठाने का प्रयास किया गया था, जिसका भी एआईसीसीए ने कानूनी, नैतिक और नैतिक आधार पर विरोध किया था। 

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