Highlights
- आरबीआई ने बुधवार को ट्वीट करते हुए पब्लिक से शुल्क लगाने के संबंध में राय मांगी है।
- कोई भी नागरिक अपना विचार 3 अक्टूबर 2022 तक भेज सकता है।
- भारत सबसे अधिक डिजिटल पेमेंट करने वाले देश की लिस्ट में शामिल हो गया है।
UPI Transaction आज के समय में शहरी क्षेत्रों में लगभग लोग कर रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में भी इसकी संख्या में बढ़ोतरी होनी शुरु हो गई है। भारत सबसे अधिक डिजिटल पेमेंट (Digital Payment) करने वाले देश की लिस्ट में शामिल हो गया है। जो लोग हमेशा डिजिटल पेमेंट कर रहे हैं। यह सोचकर कि कोई चार्ज (Charge) नहीं देना पड़ता है। उनके लिए बुरी खबर है। दरअसल, आरबीआई (RBI) पेमेंट पर चार्ज लगाने की प्रक्रिया पर काम करना शुरु कर दिया है।
आरबीआई ने बुधवार को ट्वीट करते हुए पब्लिक से शुल्क लगाने के संबंध में राय मांगी है। कोई भी नागरिक अपना विचार 3 अक्टूबर 2022 तक फॉर्म में भरकर या RBI के ऑफिशियल मेल एड्रेस पर भेज सकता है। अगर आप भी इस विषय पर कुछ कहना चाहते हैं तो इस लिंक पर क्लिक कर दे सकते हैं।
आरबीआई द्वारा जारी किए गए चर्चा पत्र में भुगतान प्रणाली जैसे तत्काल भुगतान सेवा (IMPS), राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT), रीयल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) प्रणाली और एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) और विभिन्न भुगतान उपकरणों जैसे शुल्क से संबंधित सभी पहलुओं को शामिल किया गया है। साथ ही आरबीआई ने कहा है कि डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और प्रीपेड भुगतान साधन (PPI) के रूप में प्राप्त फीडबैक का उपयोग नीतियों को बनाने में किया जाएगा।
स्मार्टफोन यूजर्स की संख्या काफी ज्यादा
भारत में लगभग 120 करोड़ का एक बड़ा मोबाइल फोन यूजर बेस है और उनमें से लगभग 75 करोड़ लोगों के पास स्मार्टफोन हैं। लगभग 45 करोड़ फीचर फोन यूजर्स हैं। जो यूपीआई पेमेंट को वरीयता देते हैं। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक, 338 बैंक यूपीआई सिस्टम पर काम कर रहे हैं और लेनदेन करने वाले यूजर्स की संख्या 638.8 करोड़ थी। यूपीआई के माध्यम से लगभग 50 प्रतिशत लेनदेन 200 रुपये से कम अमाउंट के हो रहे हैं।
झटपट लोन देने पर भी RBI ने जारी किया था आदेश
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में डिजिटल ऋण देने के लिए सख्त मानदंड जारी किए थे। इसके तहत केंद्रीय बैंक ने कहा कि डिजिटल ऋण सीधे कर्ज लेने वालों के बैंक खातों में जमा किया जाना चाहिए, न कि किसी तीसरे पक्ष के माध्यम से। आरबीआई ने कहा कि क्रेडिट मध्यस्थता प्रक्रिया में लोन सर्विस प्रोवाइडर्स (LSP) को देय शुल्क का भुगतान कर्ज लेने वालों को नहीं, बल्कि डिजिटल ऋण देने वाली संस्थाओं को करना चाहिए। आरबीआई ने डिजिटल उधार के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी करते हुए मुख्य रूप से तीसरे पक्ष के बेलगाम जुड़ाव, गलत बिक्री, डेटा गोपनीयता का उल्लंघन, अनुचित व्यावसायिक आचरण, अत्यधिक ब्याज दरों और अनैतिक वसूली प्रथाओं से संबंधित चिंताओं का उल्लेख किया।
आरबीआई ने 13 जनवरी 2021 को ‘ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और मोबाइल ऐप्लिकेशन के जरिए ऋण देने सहित डिजिटल उधार’ (डब्ल्यूजीडीएल) पर एक कार्य समूह का गठन किया था।