उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट नियामकीय प्राधिकरण (यूपी-रेरा) के चेयरमैन राजीव कुमार ने बुधवार को बताया कि प्राधिकरण राज्य में बहुत प्रभावी है और उसने दर्ज की गई लगभग 90 प्रतिशत शिकायतों का निपटान कर दिया है। रियल एस्टेट (नियमन और विकास) अधिनियम (रेरा) संसद में मार्च, 2016 में पारित किया गया था और एक मई, 2016 को प्रभावी हो गया था। मई, 2017 में पूरी तरह अमल में आए इस कानून के अंतर्गत लगभग सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में रियल एस्टेट प्राधिकरण स्थापित किया गया है। उद्योग मंडल एसोचैम की तरफ से आयोजित एक सम्मेलन में कुमार ने कहा कि यूपी-रेरा ने विभिन्न राज्यों के नियामकों द्वारा हल की गई कुल उपभोक्ता शिकायतों में से 41 प्रतिशत का निस्तारण किया है।
देशभर में आईं शिकायतों का लगभग 38 प्रतिशत
उन्होंने कहा कि अगर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र-दिल्ली के रियल एस्टेट कारोबार में इतनी समस्या नहीं होती तो रेरा अधिनियम अस्तित्व में ही नहीं आया होता। इसके नियमन का श्रेय दिल्ली-एनसीआर को ही जाता है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, उप्र रेरा के पास 47,671 शिकायतें आ चुकी हैं, जो देशभर में आईं शिकायतों का लगभग 38 प्रतिशत हैं। इनमें से लगभग 42,600 शिकायतों का निपटान हो चुका है जो देश में निपटान वाली कुछ शिकायतों का लगभग 41 प्रतिशत हैं।
रियल एस्टेट परियोजनाओं का पंजीकरण 23 प्रतिशत बढ़ा
उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (उप्र रेरा) में नई परियोजनाओं के पंजीकरण में 2022 में पिछले साल की तुलना में 23 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गयी है। उप्र रेरा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 2022 में कुल 215 परियोजनाओं का पंजीकरण हुआ। उप्र रेरा को तेजी से बढ़ते रियल एस्टेट क्षेत्र का नियमन करने, पारदर्शिता लाने, मकान खरीददारों के हितों की रक्षा करने और उपभोक्ताओं-बिल्डरों के विवादों के शीघ्र निपटान हेतु 2017 में स्थापित किया गया था। उप्र के रियल एस्टेट नियामक ने एक बयान में कहा, साल 2018 में लगभग 258 और 2019 में 216 परियोजनाओं का पंजीकरण हुआ। 2020 में 161 जबकि 2021 में 174 परियोजनाओं का पंजीकरण हुआ।