
उत्तर प्रदेश (UP) की योगी सरकार राज्य में निवेश बढ़ाने और उद्योग लगाने के लिए लगातार कोशिश कर रही है। इसी दिशा में राज्य सरकार को काफी सफलता भी मिली है। देश समेत विदेशों से उत्तर प्रदेश में बड़े उद्योगपति निवेश कर रहे हैं। अब प्रदेश सरकार ने उद्यमियों को एक और राहत दी है। दरअसल, राज्य सरकार ने उद्यमियों को बड़ी राहत देते हुए कम जमीन पर अधिक निर्माण की मंजूरी दे दी है। इसके लिए यूपी सरकार ने भवन निर्माण एवं विकास उपविधि-2008 में संशोधन कर भू-आच्छादन (बिल्टप एरिया) व एफएआर को बढ़ाया है, वहीं सेटबैक को घटाया गया है।
आपको बता दें कि सेटबैक का मतलब न्यूनतम खुली जगह होता है, जो किसी बिल्डिंग या ढांचे के आसपास होनी चाहिए। नगर निगम के प्रावधानों के मुताबिक किसी इमारत और वो प्लॉट, जिस पर इमारत बनाई जा रही है, उनके बीच एक निश्चित दूरी होनी चाहिए। सेटबैक घटाने से अब खाली जमीन कम छोड़ने की जरूरत होगी।
कहां कितनी दी गई राहत
सरकार की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, अब एमएसएमई उद्योग को 500 वर्गमीटर तक के किसी क्षेत्र में स्थित भूखंड पर फैक्ट्री स्थापित करने पर 20 फीसदी ज्यादा बिल्टप एरिया मान्य होगा। यानी 20 फीसदी अधिक एरिया पर अब कंस्ट्रक्शन किया जा सकेगा। आपको बता दें कि अभी तक 1000 वर्गमीटर के प्लॉट पर 60 फीसदी ही बिल्टप एरिया मान्य था जिसे अब बढ़ाकर 75 फीसदी कर दिया गया है। वहीं 500 वर्गमीटर तक के प्लॉट पर बिल्टप एरिया को बढ़ाकर 80 फीसदी कर दिया गया है। 10 हजार वर्गमीटर से बड़े प्लॉट पर अब भू-आच्छादन 65 फीसदी मान्य होगा।
एफएआर में भी दी गई राहत
भू-आच्छादन के साथ एफएआर यानी फ़्लोर एरिया रेशियो में भी राहत दी गई है। पहले जहां 1 से 1.5 एफएआर मान्य था। वहीं अब 10 हजार वर्गमीटर तक के प्लॉट के मामले में एफएआर को बढ़ाकर 2 कर दिया गया है। इससे बड़े प्लॉट के लिए 1.5 एफएआर मान्य होगा। फ्लैटेड फैक्ट्री के निर्माण के लिए 2.5 एफएआर मान्य किया गया है। इतना ही नहीं, सरकार ने 12.50 मीटर की हाईट वाली औद्योगिक भवनों के निर्माण में सेटबैक छोड़ने के मानकों में भी ढील दी गई है। अब प्लॉट का एरिया 100 वर्गमीटर होने पर आगे 3 की बजाय 2 मीटर का ही सेटबैक छोड़ना होगा।