रियल्टी समूह Unitech के प्रवर्तक भाइयों ने तिहाड़ जेल अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए घर खरीदारों के पैसे का इस्तेमाल किया। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बृहस्पतिवार को प्रवर्तक भाइयों के खिलाफ एक धन-शोधन मामले में 257 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क करते हुए यह खुलासा किया है। ईडी ने एक बयान में कहा, अस्थायी रूप से कुर्क की गई संपत्तियों में आवासीय, वाणिज्यिक इकाइयां, गुरुग्राम, गोवा, चेन्नई और कुछ अन्य स्थानों में भूखंड, डिमांड ड्राफ्ट, शेयर और बैंक में जमा राशि शामिल हैं। ये संपत्तियों चंद्र इन्वेस्टमेंट ग्रुप (सीआईजी) रियल्टी फंड और ऑथेंटिक ग्रुप की हैं। इन संपत्तियों को कुर्क करने के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दो आदेश जारी किए गए थे। ताजा कार्रवाई के साथ ईडी ने इस मामले में 14 कुर्की आदेश जारी करते हुए 1,059.52 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है।
गैर-कानूनी तरीके से फंड को किया ट्रांसफर
एजेंसी ने कहा उसकी जांच में पाया गया कि यूनिटेक के प्रवर्तक अजय और संजय चंद्रा ने घर खरीदारों के 244 करोड़ रुपये के कोष को सीआईजी रियल्टी फंड में ‘गैर-कानूनी रूप से स्थांतरित’ किया था। ईडी ने कहा, स्थानांतरित धन का उपयोग यूनिटेक समूह की भूमि स्वामित्व वाली कंपनियों को खरीदने के लिए किया गया था। औरम एसेट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड चंद्र परिवार के नियंत्रण वाली कंपनियों में से एक थी। इसका उपयोग सीआईजी रियल्टी फंड के मामलों के प्रबंधन के लिए किया जाता था।
जेल अधिकारियों को दिए गए रिश्वत
एजेंसी के अनुसार, दुरुपोग धन का इस्तेमाल तिहाड़ जेल में अधिकारियों को रिश्वत देने और चंद्रा बंधुओं के अन्य व्यक्तिगत खर्चे जैसे गैर-कानूनी गतिविधियों में भी किया गया। गौरतलब है कि ईडी ने शीर्ष न्यायालय के निर्देश पर छह जून, 2018 को समूह, उसके प्रवर्तकों और उससे जुड़ी कंपनियों के खिलाफ धन शोधन का मामला दर्ज किया था। ईडी ने इस मामले में चंद्रा बंधुओं, उनके पिता और यूनिटेक समूह के संस्थापक रमेश चंद्रा, प्रीति चंद्रा (संजय चंद्रा की पत्नी) और राजेश मलिक (कारनोस्टी ग्रुप के प्रवर्तक) को गिरफ्तार किया था। ये सभी न्यायिक हिरासत में हैं। एजेंसी ने मामले में दो आरोपपत्र भी दाखिल किये हैं।