आर्थिक संकट का वायरस सिर्फ छोटे देशों को ही नहीं बल्कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं को भी अपनी चपेट में ले रहा है। अमेरिका में मंदी और महंगाई की चर्चा अब आम हो गई है। वहीं अब दुनिया की आर्थिक शक्ति रहा ब्रिटेन भी मंदी की चपेट में जाता दिखाई दे रहा है।
ताजा इकोनॉमिक डेटा के अनुसार, ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में जून तिमाही में एक बार फिर गिरावट आई है। अच्छी बात तो सिर्फ यह है कि यह गिरावट अनुमान से कम रही है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने कहा कि ब्रिटेन की जीडीपी अप्रैल-जून तिमाही में 0.1 प्रतिशत घट गई, जबकि पिछली तिमाही में इसमें 0.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। जून में सकल घरेलू उत्पाद में 0.6 प्रतिशत की कमी हुई। मई के वृद्धि अनुमानों को 0.5 प्रतिशत से घटाकर 0.4 प्रतिशत कर दिया गया।
स्वास्थ्य खर्च में कमी का असर
सांख्यिकी कार्यालय ने कहा कि जीडीपी घटने में स्वास्थ्य खर्च में कमी का सबसे अधिक योगदान था। सरकार ने कोविड-19 परीक्षण और टीकाकरण कार्यक्रमों को घटा दिया है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आर्थिक सांख्यिकी निदेशक डैरेन मॉर्गन ने कहा कि कई खुदरा विक्रेताओं के लिए भी यह एक कठिन तिमाही थी।
ये मंदी की शुरुआत तो नहीं
विश्लेषकों ने कहा कि इस गिरावट का मतलब मंदी की शुरुआत नहीं है। हालांकि, बैंक ऑफ इंग्लैंड का कहना है कि ब्रिटेन इस साल के अंत में मंदी की चपेट में आ सकता है। देश में मुद्रास्फीति बढ़कर 9.4 प्रतिशत पहुंच गई है। महंगाई बढ़ने से लोगों के रहन-सहन की लागत बढ़ी है।