Tuesday, December 24, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पैसा
  3. बिज़नेस
  4. इस प्यारी सी पीली चिड़िया ने कह दिया फाइनल गुडबाय, ट्विटर के कंपटीशन में आया Koo अब हुआ बंद

इस प्यारी सी पीली चिड़िया ने कह दिया फाइनल गुडबाय, ट्विटर के कंपटीशन में आया Koo अब हुआ बंद

किसी समय कू के साथ लगभग 21 लाख दैनिक सक्रिय उपयोगकर्ता और लगभग एक करोड़ मासिक सक्रिय उपयोगकर्ता जुड़े हुए थे। उस समय इसे टाइगर ग्लोबल, एक्सेल, 3वन4 कैपिटल और कलारी कैपिटल जैसे प्रमुख निवेशकों का समर्थन मिला हुआ था।

Edited By: Pawan Jayaswal
Published : Jul 03, 2024 21:49 IST, Updated : Jul 03, 2024 21:49 IST
कू ने बंद किया परिचालन
Photo:FILE कू ने बंद किया परिचालन

सोशल मीडिया दिग्गज ट्विटर (अब एक्स) के भारतीय जवाब के रूप में पेश किए गए घरेलू प्लेटफॉर्म 'कू' को फंडिंग संबंधी चुनौतियों के कारण अपना परिचालन बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। कू के को-फाउंडर्स ने बुधवार को परिचालन बंद करने की घोषणा करते हुए कहा कि साझेदारी के नाकाम प्रयासों और फंडिंग जुटाने में आ रही समस्याओं से यह स्थिति पैदा हुई है। इस ऐलान के साथ ही कू के कारोबार पर पर्दा गिर गया। भारत में इसकी लोकप्रियता 2021 के आसपास ट्विटर के साथ भारत सरकार के विवादों के दौरान काफी तेजी से बढ़ी थी। उस समय कई केंद्रीय मंत्रियों, राजनेताओं और सरकारी विभागों ने भी कू पर अपने खाते खोले थे।

21 लाख डेली एक्टिव यूजर्स थे

अपने तेज विकास के दिनों में कू के साथ लगभग 21 लाख दैनिक सक्रिय उपयोगकर्ता और लगभग एक करोड़ मासिक सक्रिय उपयोगकर्ता जुड़े हुए थे। उस समय इसे टाइगर ग्लोबल, एक्सेल, 3वन4 कैपिटल और कलारी कैपिटल जैसे प्रमुख निवेशकों का समर्थन मिला हुआ था। हालांकि, लंबे समय तक वित्त जुटाने में समस्याएं पेश आने और अधिग्रहण को लेकर बातचीत नाकाम रहने का कू के परिचालन पर प्रतिकूल असर पड़ा। यह घटते उपयोगकर्ता आधार से जूझता रहा और पिछले साल कर्मचारियों की छंटनी भी की गई थी।

बिना फंडिंग के बंद करना पड़ रहा

सह-संस्थापक अप्रमेय राधाकृष्ण और मयंक बिदावतका ने पेशेवर नेटवर्किंग मंच लिंक्डइन पर एक पोस्ट में कहा कि कू जनता के लिए अपनी सेवाएं बंद कर देगा और इसकी 'छोटी पीली चिड़िया' अंतिम विदाई दे रही है। पीली चिड़िया कू का प्रतीक चिह्न (लोगो) है। दोनों सह-संस्थापकों ने लिखा, "हमने कई बड़ी इंटरनेट कंपनियों, समूहों और मीडिया घरानों के साथ साझेदारी की संभावना तलाशी, लेकिन इन वार्ताओं से मनचाहा परिणाम नहीं निकल पाया।" सह-संस्थापकों ने कहा कि वे इस ऐप को चालू रखना चाहते थे लेकिन इसके लिए जरूरी प्रौद्योगिकी सेवाओं की लागत अधिक है लिहाजा इसके बारे में फैसला करना काफी कठिन था।

कई भाषाओं को करता था सपोर्ट

उन्होंने कहा कि कू को ‘अभिव्यक्ति को लोकतांत्रिक बनाने’ और लोगों को उनकी स्थानीय भाषाओं में बेहतर तरीके से जोड़ने के लिए ‘बहुत मन से’ बनाया गया था। यह मंच अपने सुनहरे दिनों में हिंदी, तेलुगु, तमिल, बंगाली, गुजराती, मराठी, असमिया और पंजाबी जैसी कई भारतीय भाषाओं का समर्थन करता था। सह-संस्थापकों ने कहा कि कू वर्ष 2022 में ट्विटर को भारत में पीछे छोड़ने के करीब पहुंचता नजर आ रहा था लेकिन पूंजी के अभाव में इस महत्वाकांक्षी अभियान को रोकना पड़ा। उन्होंने कहा, "अधिकांश वैश्विक उत्पादों पर अमेरिकियों का दबदबा है। हमारा मानना ​​है कि भारत को भी इस क्षेत्र में जगह मिलनी चाहिए।" कू के दोनों संस्थापकों ने कहा, "हमने जो बनाया है वह वाकई शानदार है। हमें इनमें से कुछ संपत्तियों को किसी ऐसे व्यक्ति के साथ साझा करने में खुशी होगी, जिसके पास सोशल मीडिया में भारत के प्रवेश के लिए एक बेहतर दृष्टिकोण है।"

Latest Business News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Business News in Hindi के लिए क्लिक करें पैसा सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement