Highlights
- तुर्की ने रुबेला वायरस का हवाला देकर भारत के 60000 टन गेहूं की खेप वापस लौटा दी
- गेहूं भारत की आईटीसी ने जेनेवा की कंपनी को बेचा था, जिससे तुर्की ने खरीद की है
- ये आयात करने वाले देशों में कॉर्पोरेट प्रतिद्वंद्विता के कारण भी हो सकता है
मौजूदा मुश्किल दौर में जहां दुनिया गेहूं की बढ़ती कीमतों से परेशान है, और भारत से गेहूं का निर्यात खोलने की गुहार लगा रही है। वहीं कश्मीर मुद्दे पर भारत की मुखालफत करने वाले तुर्की ने नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है। तुर्की ने रुबेला वायरस का हवाला देकर भारत के 60000 टन गेहूं की खेप वापस लौटा दी है। यह गेहूं भारत की आईटीसी ने जेनेवा की कंपनी को बेचा था, जिससे तुर्की ने खरीद की है।
सरकार ने क्या कहा
तुर्की द्वारा गुणवत्ता की चिंताओं की वजह से भारतीय गेहूं की खेप को नहीं लेने की खबरों के बीच खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार ने इस मसले पर तुर्की के अधिकारियों से विवरण मांगा है। उन्होंने कहा कि संबंधित निर्यातक आईटीसी लिमिटेड ने दावा किया है कि 56877 टन की निर्यात खेप को सभी जरूरी मंजूरियां प्राप्त थीं।
रूबेला इंसानों का रोग, गेहूं में कैसे?
भारतीय गेहूं को वायरस प्रभावित कह तुर्की खुद भी फसता दिख रहा है। अंग्रेजी अखबार हिंदूबिजनेसलाइन ने आईटीसी के अधिकारी के हवाले से लिखा है कि रुबेला मानव जनित रोग है, इसका गेहूं को प्रभावित करने का सवाल ही नहीं उठता है। बीमारी फसलों में पाई ही नहीं जाती। ये आयात करने वाले देशों में कॉर्पोरेट प्रतिद्वंद्विता के कारण भी हो सकता है।
भारतीय गेहूं में ऐसा कोई रोग नहीं
कृषि वैज्ञानिक हेरम्ब चटर्जी ने इंडिया टीवी को बताया कि रुबेला जैसी बीमारी के भारतीय गेहूं में होने की बात अचरज पैदा करती है। ऐसी कोई बीमारी भारतीय गेहूं के संदर्भ में ज्ञात नहीं है। भारत सरकार को तुर्की से जांच की पूरी रिपोर्ट मांगनी चाहिए। भारत दुनिया का बड़ा निर्यातक भी नहीं है, वह अपनी खपत के लिए ज्यादातर गेहूं का उपयोग करता है। ऐसे में बीमारी की संभावना नहीं है।
भारत को बदनाम करने की साजिश तो नहीं?
तुर्की लंबे अरसे से पाकिस्तान को भारत के खिलाफ सपोर्ट कर रहा है, वहीं कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद से तुर्की भारत की कई अंतरराष्ट्रीय मंचों से मुखालफत कर चुका है। भारतीय गेहूं में रूबेला वायरस के आरोप चिंताजनक हो सकते हैं। रूबेला की चिंताओं पर तुर्की का भारतीय गेहूं को वापस लौटाना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मांग को प्रभावित कर सकता है। इससे देश और विदेश में गेहूं की कीमतों में कमी आ सकती है।
क्या है रूबेला वायरस
रूबेला वायरस या जर्मन खसरा एक संक्रामक वायरल है। यह अक्सर शरीर पर विशिष्ट लाल चकत्ते दिखाता है। इससे संक्रामक रोगियों में कोई खास लक्षण नहीं होते। रूबेला वायरस से संक्रमण 3-5 दिनों तक रह सकता है और यह तब फैल सकता है जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है या नाक और गले से स्राव रहता है।
निर्यात रोक के बाद भी 5 देशों ने मांगा गेहूं
सचिव ने कहा कि इस बीच भारत द्वारा 13 मई को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद पांच-छह देशों ने भारतीय गेहूं मंगाने का अनुरोध किया है और सरकार ने ऐसे देशों को अनाज के निर्यात के संबंध में मंजूरी देने के लिए एक समिति बनाई है। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ फैसले हुए हैं।’’ उन्होंने यह भी कहा कि निर्यात प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से गेहूं की खुदरा कीमतों में गिरावट का रुख दिख रहा है।
सरकार ले रही है एक्शन
पादप स्वच्छता संबंधी चिंताओं को लेकर तुर्की द्वारा भारतीय गेहूं की खेप को खारिज करने के बारे में पूछे जाने पर पांडेय ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने इस रिपोर्ट की जांच की। यह आईटीसी द्वारा किया गया निर्यात था और यह गुणवत्ता की सभी जरूरतों को पूरा करता है। ’’ कृषि विभाग और कृषि-निर्यात संवर्धन निकाय एपीडा इस मुद्दे पर तुर्की के ‘क्वारन्टाइन’ (अनाज को कीटमुक्त रखने की प्रक्रिया) अधिकारियों के संपर्क में है।